प्रयागराज महाकुंभ में लगाई गई धर्म संसद, देशभर के संतों ने की सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग
विभिन्न मठों और समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले संतों ने यहां महाकुंभ के दौरान आयोजित 'धर्म संसद' में सनातन बोर्ड की स्थापना का आह्वान किया।
जगद्गुरु विद्या भास्कर जी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम को समाप्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह कानून हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई मस्जिदों की रक्षा के लिए बिना परामर्श के लागू किया गया था।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में अपने बहुमत का इस्तेमाल कर पूजा स्थल अधिनियम को खत्म कर देना चाहिए। उस समय सरकार ने बिना किसी चर्चा के इस कानून को पारित कर दिया और देश पर थोप दिया।"
उन्होंने आगे कहा कि सभी जीवों का अस्तित्व सनातन धर्म के संरक्षण पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, "सनातनियों की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना समय की मांग है।"
सनातन धर्म संसद (सनातन धार्मिक संसद) की अध्यक्षता करने वाले निम्बार्क पीठाधीश्वर श्याम शरण देवाचार्य ने कहा कि बोर्ड सनातन धर्म की रक्षा करेगा और भावी पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा, "तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में बाहरी लोगों की घुसपैठ और हमारी आस्था को भ्रष्ट करने से रोकने के लिए यह बोर्ड बहुत महत्वपूर्ण है। एक समय ईरान, अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान जैसे देश सांस्कृतिक रूप से भारत के साथ जुड़े हुए थे। अगर हम कार्रवाई नहीं करेंगे तो भारत भी हिंदुओं के हाथों से निकल सकता है।"
इस्कॉन नेता गौरांग दास जी महाराज ने 'सनातनियों' के लिए एक एकीकृत निकाय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। "अगर उद्योगों के लिए सीआईआई और फिक्की जैसे संगठन और चिकित्सा के लिए आईएमए जैसे संगठन मौजूद हैं, तो 'सनातनियों' की सुरक्षा और उन्हें एकजुट करने के लिए हमारे पास ऐसा ही एक निकाय क्यों नहीं हो सकता?"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सुरक्षा और न्याय के लिए सभी सनातनियों को सनातन बोर्ड के बैनर तले एकजुट होना होगा।
उपदेशक देवकीनंदन ठाकुर ने "सनातन संस्कृति" के कथित पतन को मैकाले की शिक्षा नीतियों से जोड़ा, जिसने भारतीय परंपराओं की जगह अंग्रेजी भाषा को जगह दी। उन्होंने वक्फ बोर्ड के माध्यम से भारत पर कब्जा करने की "साजिश" की भी चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा खाली की गई भूमि वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है। लेकिन भारत आए हिंदुओं की भूमि का क्या हुआ? पाकिस्तान में हिंदू बोर्ड क्यों नहीं है?"
ठाकुर ने सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान या बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए ऐसे बोर्ड नहीं हैं तो भारत में वक्फ बोर्ड क्यों है। उन्होंने यह भी दावा किया कि तिरुपति बालाजी जैसे मंदिर सरकार को सालाना 500 करोड़ रुपये का योगदान देते हैं, जबकि सरकार को सनातन धर्म के लिए पहल करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "यदि सनातन बोर्ड का गठन किया जाता है, तो प्रत्येक मंदिर की अपनी गौशाला, गुरुकुल और अस्पताल होगा तथा सभी दान सनातन धर्म के अंतर्गत ही रहेंगे।"
सनातन धर्म संसद में शामिल हरिद्वार से चिन्मयानंद बापू, महामंडलेश्वर आशुतोष नंद महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, जैन संत विवेक मुनि जी महाराज, हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास और वल्लभाचार्य जी महाराज समेत अनेक संतों और धार्मिक नेताओं ने सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।