जब महाराष्ट्र के परेशान किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में दी संविधान बदलने की अर्जी
देश में कृषि संकट से परेशान किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में किसानों ने संविधान में एक अनुच्छेद को चुनौती देने वाली याचिका दायर की है, जिसका दावा है कि यह किसानों के खिलाफ है। मंगलवार को संविधान के इस प्रावधानों को जिम्मेदार बताते हुए किसानों के एक समूह ने शीर्ष कोर्ट में संविधान बदलने की अर्जी दी है।
महाराष्ट्र में किसान कार्यकर्ता अमार हबीब द्वारा शुरू किए गए किसान पुत्र आंदोलन (केपीए) ने 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर संविधान के अनुच्छेद 31बी और इसके तहत आने वाली नौवीं अनुसूची को रद्द करने का अनुरोध किया है। याचिका में अनुच्छेद और अनुसूची दोनों को किसान विरोधी बताया गया है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आंदोलन के सदस्यों का मानना है कि अनुच्छेद 31बी रद्द किए जाने के बाद ऐसे कई कानूनों को चुनौती दी जा सकेगी जो देश में कृषि संकट के लिए जिम्मेदार हैं।
केपीए के अनुसार , ऐसे कुछ कानून कृषि भूमि उच्चतम सीमा कानून , आवश्यक वस्तु अधिनियम और भूमि अधिग्रहण कानून का हिस्सा हैं और ये सभी संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत आते हैं।
गौरतलब है कि संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कानूनों की न्यायिक समीक्षा संभव नहीं है। शेतका री संगठन के नेता दिवंगत शरद जोशी के करीबी सहयोगी रहे हबीब का कहना है कि वक्त बदल गया है और सरकार का रवैया भी।
उन्होंने सोमवार को मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की जगह केपीए ने कृषि संकट के प्रमुख कारण की पहचान की है और वह न्यायपालिका की मदद से उसे दूर करने का प्रयास कर रहा है।