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21 January 2021

मध्य प्रदेश ई टेंडर घोटाले में ईडी ने की गिरफ्तारियां, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बढ़ सकतीं है मुश्किलें

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की नई पारी में मुश्कि लें उनका साथ छोड़ने को तैयार ही नई है। अब ई टेंडर घोटाले का जिन्न बाहर आ गया है। उनके  पिछले कार्यकाल में हुये ई-टेंडरिंग घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चैयरमैन श्रीनिवास राजू व उसके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को हैदराबाद में गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को 3 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

यह  पूरा घोटाला शिवराज सिंह के पिछले कार्यकाल के दौरान हुआ था, जिसमें मेंटाना कंपनी पर मप्र सरकार के ठेकों में आॅनलाइन टेंपरिंग कर कई कंपनियों को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। ईडी ने सात जनवरी को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापेमारी कर दस्तावेजों की छानबीन की थी। इसी दिन श्रीनिवास राजू से भी पूछाताछ  की थी। इसके अलावा ईडी की टीम ने ई टेंडर का साफ्टवेयर डेवलप करने वाली बेंगलुरू की अंट्रेस सॉफ्टवेयर कंपनी के यहां भी सर्चिंग की थी। इसी दौरान दूसरी टीम ने भोपाल में मेंटाना कंपनी के ठिकाने तथा आॅस्मो आईटी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विनय चौधरी, अरुण चतुवेर्दी और सुमित गोलवलकर के यहां भी सर्चिंग की थी। देश भर में भोपाल, हैदराबाद और बेंगलुरु सहित 16 स्थानों पर छापे मारे थे। इस मामले में मप्र ईओडब्ल्यू द्वारा अप्रैल 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का प्रकरण दर्ज किया था।

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के कई विरोधी पहले से ही उनको पद से हटाने में लगे हुए है। ऐसे विरोधियों को ईडी की गिरफ्तारी के बाद नया मुद्दा मिल गया है। वे लोगो इस मामले को उनके खिलाफ प्रयोग करेंगे। विरोधी खेमा का सबसे बड़ा आरोप ही यही है कि शिवराज सिंह के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए थे। ऐसे में उनके स्थान पर नये चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।

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इस मामले में मध्य प्रदेश की आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ( ईओडब्लू) ने आॅस्मो आईटी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के 3 डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चतुवेर्दी और सुमित गोलवलकर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी डिजिटल सिग्नेचर तैयार कर अपने कस्टमर कंपनी को मध्यप्रदेश के अधिकारियों की मिलीभगत से ई-टेंडर में बिडिंग कराकर काम दिलाया था।

मप्र का ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था जब जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच मप्र के ईओडब्लू को सौंपी गई थी।

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OUTLOOK 21 January, 2021
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