अखिलेश ने खोल दिए अपने पत्ते, 2022 में योगी के खिलाफ होंगे कामयाब!
वैसे तो मौका था किसान महापंचायत का, जहां पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पहुंचे थे। लेकिन वहां पर पश्चिमी यूपी के एक बड़े नेता की मौजूदगी ने अखिलेश यादव की रणनीति का खुलासा कर दिया है। मथुरा के बाजना में हुई इस महापंचायत में अखिलेश के साथ राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी मौजूद थे। पश्चिमी यूपी में विधानसभा की 100 ऐसी सीटें हैं, जहां किसानों का मत निर्याणक साबित हो सकता है।
ऐसे में अखिलेश यादव रालोद का साथ लेकर इस वोट बैंक को जोड़ना चाहते हैं। इसके अलावा वह अपने चाचा शिवपाल यादव से भी पुराने गिले-शिकवे मिटाकर फिर से साथ होने की कोशिश में हैं। जाहिर है अखिलेश भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं। इसी कड़ी में वह दलित वोटों के लिए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर से भी कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। बढ़ते समर्थन का ही असर है कि सपा के एक नेता कहते हैं कि अब सत्ता से केवल एक साल की दूरी रह गई है। हालांकि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए पिछले लोकसभा चुनाव में भी जब सपा और बसपा एक साथ आए थे, तो ऐसा ही भरोसा पार्टी दिखा रही थी।
ट्रैक्टर से पहुंचे दोनों नेता
मुथरा में हुई इस किसान महापंचायत के कई सियासी मायने हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में हारने के बाद सपा और रालोद के नेता पहली बार एक साथ आये हैं। इसी के साथ दोनों दलों ने किसानों के मुद्दे पर संघर्ष करने और गठबंधन जारी रखने का इरादा साफ जाहिर कर दिया। दोनों नेता एक साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर मंच तक पहुंचे। राज्य के दो प्रमुख विपक्षी दलों के साथ आने को विधानसभा चुनाव की तैयारियों खुलती रणनीति के रुप में देखा जा रहा है। जिससे कि मतदाता राजनीतिक दलों के सियासी इरादे समझ सके।
दोनों को एक-दूसरे की जरूरत
मथुरा राष्ट्रीय लोकदल का गढ़ रहा है और जयंत चौधरी यहां से सांसद रह चुके हैं। लेकिन पिछली बार पार्टी को एक भी सीट लोकसभा चुनावों में नहीं मिली थी। वही समाजवादी पार्टी रालोद के परंपरागत जनाधार के बूते पश्चिमी यूपी की राजनीति में अपनी खोयी जमीन तलाश रही है। जबकि रालोद के सामने अपना वजूद बचाने की चुनौती है। जिस प्रकार किसान आंदोलन ने व्यापक रूप लिया और किसानों के मुद्दे राष्ट्रीय राजनीति में छा गए हैं।, उसका फायदा राष्ट्रीय लोकदल को मिलने की उम्मीद है। इसी आस में रालोद की ओर से लगातार किसान महापंचायतें कराई जा रही हैं, जिसमें अच्छी खासी भीड़ जुट रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगली सरकार किसानों की तभी बनेगी जब भाईचारा अपनाया जाएगा।भारतीय जनता पार्टी से अधिक साजिश करनेवाली कोई पार्टी नही है। उन्होंने जो सत्ता पाई है वह समाज को बांटकर पाई है। जिस समय किसान इस बात को समझकर जागरूक हो जाएंगे उन्हें सत्ता नही मिल पाएगी।
अखिलेश का कहना था कि वे किसान पंचायतों में इस उम्मीद से जा रहे हैं कि आनेवाले चुनाव में किसान भाजपा को सबक सिखाएंगे। सपा अध्यक्ष ने कहा कि आज मण्डियों को बेंचा जा रहा है जबकि आवश्यकता और मण्डियों को खेालने की थी। सरकार ने तीन काले कानून लाकर किसान की जमीन को छीनने का काम किया है। जिस प्रकार किसान महापंचायत के माध्यम से किसानों ने एकता दिखाई है यदि इसी प्रकार की एकता चुनाव में बनाए रखेंगे तो भारतीय जनता पार्टी का पता नही चलेगा।
रालोद उपाध्यक्ष जयन्त चैधरी ने इस सभा के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी कि यदि किसी किसान को परेशान किया गया तो ईंट से ईंट बजा दी जाएगी। तीनो काले कानूनो का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें हटाने के लिए 114 दिन से किसान आंदोलन कर रहे हैं और 300 किसानों की जान भी चली गई, वास्तव में वे शहीद हुए हैं पर भाजपा के नेता साक्षी महाराज जैसे लोग इन्हें आतंकवादी कहते है तो मोदी स्वयं इन्हें परजीवी कहते हैं।