मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मतदाता सूची के सत्यापन के दौरान बनारस, आजमगढ़, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी सहित कई संसदीय सीटों पर लाखों की संख्या में मतदाताओं के दोहरे नाम पाए गए हैं। आशंका इस बात की व्यक्त की जा रही है कि दोहरे नाम वाले मतदाताओं ने अगर मतदान किया होगा तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बनारस संसदीय सीट पर तो छह लाख से अधिक दोहरे नाम वाले मतदाता पाए गए हैं। जिसमें एक रोचक तथ्य यह है कि बनारस संसदीय सीट के कैंट, उत्तरी, दक्षिणी सीटों पर दोहरे नाम वाले मतदाताओं की तादात काफी है। नरेंद्र मोदी ने 371784 वोटों से जीत हासिल की है, जबकि दोहरे नाम वाले मतदाताओं की संख्या 647085 है। बनारस के जिलाधिकारी प्रांजल यादव के मुताबिक निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची का सत्यापन कराया जा रहा है जिसके आधार दोहरे नाम वाले मतदाताओं की सूची सामने आई है। यादव के मुताबिक इन मतदाताओं ने मतदान किया है या नहीं यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। पूरे प्रदेश की अगर बात करें तो अभियान के दौरान तीन करोड़, 26 लाख 87 हजार 135 वोटर संदेह के घेरे में आ गए हैं। यह संख्या बढ़ भी सकती है। आकंड़ों के मुताबिक संदेह के घेरे में आए दोहरे नाम वाले मतदाताओं की संख्या जौनपुर में सर्वाधिक 10 लाख 68 हजार 807 है। आजमगढ़ संसदीय सीट पर जहां कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते हैं वहां 9 लाख 70 हजार 690 मतदाता दोहरे नाम वाले पाए गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में 5 लाख 31 हजार 16 तो राहुल गांधी के अमेठी संसदीय क्षेत्र में 3 लाख 25 हजार 987 दोहरे नाम वाले मतदाताओं की सूची सामने आई है। यह संभव है कि पड़ताल में यह आंकड़ा बढ़ सकता है। इन चौकाने वाले आंकड़े आने के बाद से प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव से पहले फर्जी मतदान सूची के आरोप लगाने वाले सियासी दलों ने इसको लेकर निशाना साधा है। बनारस संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे अजय राय कहते है कि वह शुरू से ही कह रहे हैं कि यह गंभीर मामला है लेकिन उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राय कहते हैं कि इसी बात को लेकर उन्होने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई हुई है कि चुनाव में धांधली हुई है। राय कहते हैं कि फर्जी मतदाताओं के कारण ही हार-जीत का अंतर बढ़ गया है। राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि बड़ी संख्या में जो मतदान का प्रतिशत बढ़ा है कहीं वह फर्जी मतदाताओं के कारण तो नहीं बढ़ा है। बनारस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण यादव के मुताबिक इस मामले की यह जांच होनी चाहिए कि ये मतदाता कब वोटर बने। उनका पिछला रिकार्ड क्या था। क्योंकि जिस तरह से बड़ी संख्या में नाम सामने आ रहे हैं उससे तो आशंका ही जाहिर होती है। यादव बनारस संसदीय सीट का हवाला देते हैं कि अगर कुल मतदाताओं की संख्या 1765960 है और उसमें से कुल 1029816 वोट पड़ा है। जिसमें छह लाख से अधिक मतदाता दोहरे नाम वाले हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए। विश्लेषक बताते हैं कि
जम्मू-कश्मीर और झारखंड में हुए पहले चरण के मतदान में बड़ी संख्या में लोगों ने वोट डाला। इसी तरह से हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत अप्रत्याशित बढ़ा था। ऐसे में शक ही सुई घूमती दिख रही है। हालांकि चुनाव आयोग इस बात से इंकार कर रहा है कि फर्जी मतदान हुआ है। मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत के मुताबिक चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची का सत्यापन कराया जाता है। इतनी बड़ी संख्या में अगर दोहरे नाम वाले मतदाता पाए गए हैं जो इसकी भी जांच होगी कि गड़बड़ी कहां हुई। लेकिन सवाल उठता है कि बड़ी संख्या में ऐसे भी मतदाता हैं जिनका नाम सूची से गायब रहता है वह अपना मतदान नहीं कर पाता। इस तरह की आम शिकायतें हर चुनाव में चुनाव आयोग को मिलती है। निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक बूथ लेबल ऑफिसर को घर-घर जाकर निरीक्षण करने के लिए कहा जाता है। कई बार ऐसा होता है कि वह कर्मचारी घर-घर न जाकर सारी औपचारिकताएं घर पर ही बैठकर कर लेता है। ऐसे में नामों का फर्जीवाड़ा होने की संभावना ज्यादा रहती है। अधिकारी के मुताबिक इस काम की जांच के लिए कोई नीति नहीं होने के कारण एक ही मतदाता को दो या तीन जगह नाम हो जाता है जबकि वास्तविक मतदाता का नाम छूट जाता है।
कहां कितने फर्जी मतदाता
वाराणसी - 6,47,085
कानुपर- 7,28,139
गोरखपुर- 8,70,849
आजमगढ़- 9,70,690
जौनपुर- 10,68,807
अमेठी-3,25,987
रायबरेली- 5,31,016
लखनऊ- 5,28,989
गाजियाबाद- 4,34,647
आगरा- 6,65,297,