स्वामी भी नहीं दिला पाए आसाराम को बेल
गौरतलब है कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को बतौर वकील आसाराम की पैरवी की थी। उन्होंने दलील दी थी कि पूरे मामले को गढ़ा गया है और आसाराम जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं। अदालत ने अपना आदेश आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष के वकील पीसी सोलंकी ने कहा था कि अदालत को फैसला करने से पहले पीडि़ता की उम्र सहित इस कथित अपराध की परिस्थितियों पर ध्यान देना चाहिए।
स्वामी ने बाद में उम्मीद जताई थी कि आसाराम को इस बार जमानत मिल जाएगी मगर स्वामी की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई। वैसे जमानत पर सुनवाई से दो दिन पहले आसाराम ने मीडिया के सामने कहा था कि दो दिन में सब ठीक हो जाएगा। जब उनसे इस बात का अर्थ पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वह अपनी सेहत के बारे में बात कर रहे हैं हालांकि कयास यही लगाए गए थे कि वह अपनी जमानत की बात कर रहे थे। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार वह जेल से बाहर आने में कामयाब हो जाएंगे।
इससे पहले आसाराम की दो जमानत याचिकाएं निचली अदालत ने खारिज की थीं। उन्होंने जमानत के लिए दो बार उच्च न्यायालय का रुख किया था लेकिन वहां भी उन्हें नाकामी मिली थी। एक बार उच्चतम न्यायालय से भी उनको कोई राहत नहीं मिली। आसाराम सितंबर, 2013 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद हैं। उन पर अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप है।