तब्लीगी मामले पर केंद्र कर रही राजनीति, सिर्फ लॉकडाउन से नहीं रूक सकता संक्रमण: राजस्थान स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा
राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 27 अप्रैल को बढ़कर 2,262 हो गया है। जबकि सबसे ज्यादा मामले राजधानी जयपुर से आ रहे हैं। राज्य का भीलवाड़ा जिला वायरस के संक्रमण को रोकने की वजह से काफी चर्चा में है। लॉकडाउन की मियाद 3 मई को खत्म हो रही है। ऐसे में क्या लॉकडाउन ही एक मात्र विकल्प है? केंद्र अथवा कई राज्यों के दावों के मुताबिक तब्लीगी की वजह से मामले बढ़े हैं। क्या राजस्थान सरकार भी यही मानती है? सभी पहलुओं पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा से आउटलुक के नीरज झा ने बातचीत की है। प्रस्तुत है अंश...
लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर राज्य की क्या योजना है?
केंद्र का जो आदेश होगा वही राज्य सरकार मानेगी। वैसे, लॉकडाउन करने वाला राजस्थान पहला राज्य रहा। इसलिए जैसा केंद्र कहेगी, हम करेंगे। कोरोना से संक्रमितों के आंकड़ों के मुताबिक ही समीक्षा कर फैसला लिया जाएगा। ऐसा भी नहीं हो सकता कि लॉकडाउन को पूरी तरह से हटा दिया जाए।
लेकिन, राहुल गांधी ने कहा है कि लॉकडाउन इसका समाधान नहीं है। क्या कांग्रेस लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है?
यह बात तो हमें माननी होगी कि सिर्फ लॉकडाउन इसका समाधान नहीं है। इस दौरान हमें अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। सामाजिक जागरूकता सबसे जरूरी है। अब हमें सोशल डिस्टेंसिंग से ज्यादा फिजिकल डिस्टेंसिंग पर ध्यान देना होगा।
राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अभी क्या स्थिति है?
पिछले सात दिनों में संक्रमण होने की दर में कमी आई है। यह स्थिति लॉकडाउन के दूसरे चरण की शुरुआत के साथ हुई है। यदि वही ग्राफ रहता तो अभी 3 हजार से ज्यादा पॉजिटिव मामले रहते। गंभीर हालत में मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। अभी (26 अप्रैल) 6 मरीज आईसीयू में हैं जबकि 3 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। जनसंख्या के लिहाज से देखे तो हमने टेस्टिंग क्षमता काफी बढाई है। अभी 87 हजार से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके हैं। प्रत्येक दिन 5,584 टेस्ट करने की क्षमता हो गई है। हम कोशिश कर रहे हैं कि अगले दो तीन दिनों में टेस्टिंग क्षमता को 10 हजार किया जाए। आइसोलेशन पर रखे गए लोगों की संख्या इस वक्त 5,161 है। होम क्वारेंटाइन किए गए लोगों की संख्या करीब 6 लाख 70 हजार है। मैं दिनभर में तीन बार रिपोर्ट मंगवाता हूं और इसकी हर रोज समीक्षा की जा रही है। एक लाख से अधिक क्वारेंटाइन बेड राज्य में तैयार किए गए हैं जिसमें 34 हजार लोगों को रखा गया है।
कोरोना से लड़ने के लिए राज्य कितना तैयार है?
पहला केस जब 2 मार्च को आया था तो हमारे पास एक भी टेस्टिंग लैब नहीं थे। अभी 11 टेस्टिंग लैब काम कर रहे है। हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भीलवाड़ा और राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) को टेस्ट करने की अनुमति दी है। जोधपुर डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में हर दिन 300 सैंपल की जांच किए जा रहे हैं। अजमेर और उदयपुर में जांच क्षमता को दोगुना किया जा रहा है। जयपुर से मामले ज्यादा आ रहे हैं। इसलिए, एक टेस्टिंग मशीन खरीदने की योजना है जिससे टेस्टिंग क्षमता 3 हजार से अधिक हो जाएगी। टेस्टिंग बढ़ाए जाने की वजह से राज्य में संक्रमित मामलों के दोगूने होने की दर 12 दिन हो गई है, जबकि अन्य कई राज्यों में यह दर 3 से 4 दिनों का है। कोरोना से लड़ने के लिए 1,378 वेंटिलेटर दिए गए हैं। सरकार से 1,500 वेंटिलेटर और मांगे गए हैं। पीपीई, मास्क और किट्स पर्याप्त है। एक बात मैं बताना चाहूंगा कि यदि आईसीएमआर इसी तरह से किट्स उपलब्ध कराती है तब हमें कोई कठिनाई नहीं है।
संक्रमण रोकने की वजह से भीलवाड़ा को एक मॉडल की तौर पर देखा जा रहा है। क्या ये जयुपर में नहीं लागू हो सकता?
भीलवाड़ा ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन, इसकी तुलना जयपुर से नहीं कर सकते हैं। दोनों की बसावट और आबादी अलग-अलग है। रामगंज की स्थिति अब नियंत्रण में है। हमने राजधानी को 30 क्लस्टरों में बांटा है। हर क्लस्टर से 30 सैंपल रेंडमली लिए जा रहे हैं। राज्य में 7 हॉटस्पॉट (कोटा, टोंक, भरतपुर, अजमेर, जोधपुर, जयपुर, नागौर) जोन चिन्हित किए गए हैं, जहां 100 से ज्यादा मामले हैं। पहला हॉटस्पॉट भीलवाड़ा पूरी तरह से नियंत्रण में हैं।
कोटा में कई राज्यों के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से वो फंसे हुए हैं। उनके लिए सरकार की क्या योजना है?
राजस्थान सरकार की तरफ से सभी बच्चों का ख्याल रखा जा रहा है। लेकिन, जिन राज्य के वो बच्चे हैं उनकी भी जिम्मेदारी है। जो राज्य अपने बच्चों को ले जाना चाह रहे हैं, उन्हें अनुमति दी जा रही है लेकिन, बिहार और पश्चिम बंगाल ने मना कर दिया तो हम क्या कर सकते हैं? बच्चों को बॉडर पर तो नहीं छोड़ सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार हर राज्य से संपर्क कर रहे हैं। राजस्थान भी अपने बच्चों और प्रवासी मजदूरों को लाने की योजना पर काम कर रही है। मैंने खास तौर से बिहार क स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि अपने बच्चों को क्यों नहीं लाना चाहते हैं।
क्या राज्य इससे अपना पल्ला झाड़ रही है?
बच्चों के माता-पिता परेशान है। बच्चे भूख हड़ताल करने की बात कह रहे हैं। इसलिए राज्यों की जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों का ख्याल रखे। यह मानवीय संवेदना भी है। यह कोई बात नहीं है कि जो अपने राज्य जाना चाहते हैं उन्हें आप आने नहीं दीजिए। बिहार एक मात्र राज्य है, जिसने अपने बच्चों को लाने से इनकार कर दिया है।
रैपिड किट्स की गुणवत्ता को लेकर सबसे पहले राजस्थान ने शिकायत की है। क्या परेशानी आ रही थी?
जो किट्स आईसीएमआर की तरफ से राज्य को मुहैय्या कराए गए थे, वो उस तरह से परिणाम नहीं दे रहा था जैसे देना चाहिए। इसी बाबत सीएम द्वारा शिकायत की गई। और यह शिकायतें कई अन्य राज्यों से भी की गई है। दरअसल, में यह किट्स अपने मानको को पूरा नहीं कर रहा है। अब आईसीएमआर ने भी इस पर रोक लगा दिया है। जिस तरह की गाइडलाइन आएगी उस तरह से काम किया जाएगा।
कई राज्य सरकारें आरोप लगा रही है कि तब्लीगी जमात की वजह से मामले बढ़े हैं। क्या राजस्थान में भी यही कारण है?
बिल्कुल नहीं, मैं मानता हूं कि यह दूर्भाग्यपूर्ण रहा। लेकिन, इस पर केंद्र ओछी राजनीति कर रही है। एक बात मैं कहना चाहूंगा कि दिल्ली में जब ये सभी लोग इकठ्ठा हुए तो पुलिस की नजर क्यों नहीं गई। पुलिस किसके नियंत्रण में है। केंद्र की इंटेलिजेंस रिपोर्ट हर दिन आती है फिर भी इन लोगों की इतनी बड़ी तादात में भीड़ कैसे जुटी। देखिए, कई सवाल केंद्र पर उठ रहे हैं। लॉकडाउन होने के बावजूद भी ये लोग दिल्ली से दूसरे राज्यों में कैसे गए। उन्हें वहीं पर क्वारेंटाइन और स्क्रीनिंग क्यों नहीं की गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महामारी को भी धर्म के चस्मे से देख रही है।
राज्य में कांग्रेस और केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार है। क्या समंव्य में कोई दिक्कत है?
नहीं, राज्य सरकार केंद्र की गाइडलाइन को लगातार फॉलो कर रही है। इस महामारी में हमें राजनीति नहीं करना चाहिए। देखा जाए तो भाजपा नेता ही संप्रदायिक हवा फैला रहे हैं।