कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का गुस्सा पराली पर, 5 नवम्बर को पंजाब का 'धुआं' दिल्ली तक
पांच नवम्बर को आग पंजाब के खेतों में लगेगी जिसका धुआं दिल्ली तक लगेगा। केंद्र के कृषि विधेयकों के विरोध में पांच नवम्बर को देशभर के 130 से अधिक किसान संगठनों ने जहां चार घंटे के लिए देशभर में चक्का जाम का ऐलान किया है वहीं पंजाब के किसान खेतों में सरेआम पराली जलाकर अपने गुस्से का इजहार करेंगे। पिछले 40 दिन से रेलवे ट्रैक जाम करने वाले पंजाब के किसानों ने 5 नवम्बर को पूरे प्रदेश में अपने खेतों में पराली जलाने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने हालांकि पराली जलाने वालों पर एक करोड़ रुपए जुर्माना और पांच साल की जैल की सजा का अध्यादेश गुरुवार को जारी किया है पर केंद्र के इस फरमान को भी कृषि विधेयकों की तर्ज पर खारिज करने वाले पंजाब के कई किसान संगठनों ने पराली जलाए जाने की चेतावनी दी है। इधर सरकार भी किसानों पर सख्ती करने के मूड में नहीं हैं क्योंकि केंद्र के कृषि विधेयकों के विरोध में पहले ही रेलवे ट्रैक, टोल प्लाजा,रेलवे स्टेशन पर धरने दे रहे किसानों की पंजाब की कैप्टन अमरिदंर सरकार भी नराजगी मोल नहीं लेना चाहती। पिछले 45 दिन में राज्य में पराली जलाए जाने के करीब 2800 मामले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पकड़े हैं जिसमें से 20 से भी कम किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
पराली जलाने शहरों का बढ़ा वायु प्रदूषण स्तर
पराली जलाए जाने के सबसे ज्यादा मामले पंजाब के मालवा के फिरोजपुर,मानसा,बठिंडा,संगरुर,मोगा और पटियाला में सामने आए हैं। इसके चलते इन शहरों का वायु प्रदूषण स्तर भी बढ़ गया है। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का गृह क्षेत्र पटियाला सबसे अधिक प्रदूषित शहर हो गया है। शुक्रवार को यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआई )245 तक पहुंच गया है। बाकी शहरों में भी बठिंडा का एक्यूआई 228,मंडीगोबिंदगढ़ 220,जालंधर 206,लुधियाना 198 और अमृतसर का एक्यूआई 186 हो गया है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक 200 से अधिक एक्यूआई स्तर वायु प्रदूषण रैड कैटेगरी का खराब स्तर है जो स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। खासकर दमा के लिए मरीजों के लिए यह हवा दम घोटू है। आशंका जताई जा रही है कि केंद्र के कृषि विधेयकों के खिलाफ यदि किसानों ने अपना गुस्सा इसी तरह पराली जलाकर किया तो एक्यूआई का स्तर और भी खतरनाक हो सकता है।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू का कहना है कि पराली प्रबंधन के किसानों को मुआवजा देने की बजाय केंद्र सरकार पांच साल ही जेल और एक करोड़ रुपए जुर्माने का तुगलकी फरमान जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी)ने पिछले साल किसानों को पराली न जलाए जाने के एवज में प्रति एकड़ 2000 रुपए मुआवजे देने का निर्देश दिया था पर किसी भी किसान को मुआवजे की रकम नहीं दी गई। वहीं किसानों को सब्सिडी पर बेलर भी उपलब्ध कराने में राज्य सरकार असमर्थ रही है। ऐसे में किसान पराली प्रबंधन के लिए अपने पल्ले से 1500 रुपए प्रति टन खर्च कहां से करें।
5 नवम्बर को चक्का जाम
भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि कृषि आधारित देश की 60 आबादी किसानों पर चारों ओर से दबाव है। ऐसे में उनकी मदद के लिए आगे आने की बजाय सियासी दल अपने हित साध रहे हैं। 5 नवम्बर को पूरे देश के किसान सड़कों पर उतर कर चक्का जाम करेंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलनरत किसानों द्वारा प्रदेश में रेल ट्रैक जाम किए जाने से कारोबार ही नहीं बल्कि किसान भी प्रभवित हो रहे हैं। रेल सेवाएं ठप होने से यूरिया,उवर्रक और बीजों की किल्लत हो गई है जिसके चलते गेहूं बुआई में देरी हो रही है।