गिरफ्तारी से रोक हटते ही राजीव कुमार को समन, सीबीआई के सामने आज होगी पेशी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) के हाथों गिरफ्तारी से दी गई राहत वापस ले ली। इससे वर्ष 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार को झटका लगा है। अदालत के रोक हटाते ही सीबीआई की एक टीम शुक्रवार शाम को राजीव कुमार के सरकारी आवास पर पहुंची। वहां राजीव तो नहीं मिले, लेकिन जांच एजेंसी ने वहां समन चिपका दिया।
समन में राजीव से पूछताछ के लिए शनिवार को एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। राजीव कुमार फिलहाल दस दिनों की छुट्टी पर हैं। लेकिन माना जा रहा है कि अब अदालत के फैसले के बाद उनकी गिरफ्तारी की राह साफ हो गई है।
हाईकोर्ट ने खारिज की राजीव कुमार की याचिका
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कुमार की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने सीबीआई की नोटिस को रद्द करने की अपील की थी। सीबीआई ने पूछताछ के लिए उन्हें नोटिस जारी किया था। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह आरोप सही नहीं है कि सीबीआई जानबूझ कर उसे निशाना बना रही है।
अदालत ने सीबीआई के एक नोटिस को रद्द करने के उनके अनुरोध को भी खारिज कर दिया। इस नोटिस में कुमार से मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया था।
इस समय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) के पद पर कार्यरत राजीव कुमार उस विशेष जांच दल का हिस्सा थे, जिसे राज्य सरकार ने अन्य चिटफंड मामलों के साथ ही इस घोटाले की जांच के लिए बनाया था। मगर शीर्ष अदालत ने 2014 में इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। कथित तौर सारदा ग्रुप ऑफ कंपनीज ने लाखों लोगों को निवेश पर ऊंचे रिटर्न का वादा कर उन्हें 2500 करोड़ रूपये का चूना लगाया था।
राजीव कुमार पर ये हैं आरोप?
साल 2013 में ममता सरकार ने सारदा चिट फंड और रोज वैली घोटाले की जांच का जिम्मा विशेष जांच दल (एसआईटी) को दिया था। इसके प्रमुख राजीव कुमार थे। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले सीबीआई को सौंप दिए। बाद में सीबीआई ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन उसे नहीं सौंपे। इस बारे में राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया लेकिन वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। सीबीआई के अनुसार इन्हीं साक्ष्यों के सिलसिले में उसके अफसर रविवार रात राजीव कुमार के आवास पर गए थे।
सीएम ममता के हैं करीबी
राजीव कुमार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। इसी साल फरवरी महीने में सीबीआई टीम उनसे पूछताछ करने पहुंची थी, तब राज्य के पुलिसकर्मियों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली थी। इस घटना के बाद ममता बनर्जी धरने पर भी बैठ गई थीं। सीबीआई के अधिकारियों को रोकने के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जमकर फजीहत का सामना करना पड़ा था।