अफसरों की मेहरबानी से देवरिया कांड की आरोपी गिरिजा ने खड़ा किया साम्राज्य
देवरिया कांड में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए भले ही जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला कर लिया हो, लेकिन अभी भी सरकार के रडार पर प्रदेश के कई डीएम समेत पुलिस के बड़े अफसर हैं। अफसरों की मेहरबानी से ही गिरिजा देवी ने 25 सालों में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया और सफेदपोशों के दम पर सिस्टम पर दबाव बनाती रही।
बिहार के मुजफ्फरपुर कांड का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ऐसे सभी संरक्षण गृहों की जांच के आदेश डीएम को दिए थे। माना जा रहा है कि अगर अधिकारियों ने समय रहते जांच करा ली होती तो संभवतया ऐसी नौबत नहीं आती।
सीएम के आदेश की नाफरमानी करने वाले अफसरों की अब तलाश की जा रही है। पड़ताल किया जा रहा है कि किस जिले में मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं हुआ। जिन जिलों में मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं किया गया है, उनके खिलाफ कार्यवाही तय मानी जा रही है। इसके अलावा पुलिस की भूमिका की जांच के लिए भी एडीजी गोरखपुर को निर्देश दिए गए हैं। संस्था की मान्यता 23 जून 2017 को निरस्त होने के बाद भी पुलिस ने बालिकाओं, युवतियों, महिलाओं आदि को मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण और समाज सेवा संस्थान में भेजा।
पुलिस ने तीन साल में करीब नौ सौ से ज्यादा आश्रितों को मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण और समाज सेवा संस्थान में भेजा। इसकी रिपोर्ट आने के बाद पुलिस के आला अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गाज गिरने की संभावना है। गिरिजा देवी का परिवार आर्थिक रूप से सामान्य परिवार की श्रेणी में आता था, गिरिजा का पति चीनी मिल में नौकरी करता था और संस्था का 1993 में रजिस्ट्रेशन कराया था।
गिरिजा देवी की अधिकतम शिक्षा इंटरमीडिएट बताई जा रही है। 25 सालों में फर्श से अर्श का सफर तय करने वाली गिरिजा की अफसरों में गहरी पैंठ थी। जिस कारण गिरिजा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और करोड़ों रुपयों का साम्राज्य खड़ा कर दिया।
कई सफेदपोश और अफसरों के नाम आएंगे सामने
महिला कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार और एडीजी महिला कल्याण अंजू गुप्ता की ओर से मुख्यमंत्री को सौंपे गए रिपोर्ट में कई अहम बातें हैं। इसमें बालिकाओं से देह व्यापार कराने से लेकर प्रताड़ना आदि का भी जिक्र होने की बात की जा रही है। युवतियों के बयानों और मेडिकल में भी इसकी पुष्टि हुई है। सीबीआई जांच में कई सफेदपोश और अफसरों के नाम भी सामने आने की संभावना है।
रसूख से मिलता है एनजीओ को काम
सरकार की विभिन्न योजनाओं को संचालित करने के लिए एनजीओ की मदद ली जाती है, लेकिन हर एनजीओ का प्रोजेक्ट पर काम नहीं मिल जाता। इसके लिए एनजीओ संचालकों को अफसरों को चढ़ावा भी देना पड़ता है और रसूख का भी इस्तेमाल करना पड़ता है। इसीलिए ज्यादातर एनजीओ के काम धरातल पर कम, कागज में ज्यादा दिखते हैं। एनजीओ के कार्यों की अलग से जांच भी नहीं कराई जाती है, जिस विभाग का प्रोजेक्ट, उसी विभाग के अधिकारी जांच निपटा देते हैं।