नंदिनी के खिलाफ कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस दे छत्तीसगढ़ सरकार: सुप्रीम कोर्ट
छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित सुकमा जिले में एक आदिवासी ग्रामीण की हत्या के सिलसिले में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक नंदिनी सुंदर, जेएनयू में प्राध्यापक अर्चना प्रसाद और अन्य के खिलाफ सात नवंबर को दर्ज मामले में आज उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि किसी भी तरह की पूछताछ से पहले आरोपियों को चार हफ्तों का अग्रिम नोटिस दिया जाए। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए इस आश्वासन को भी रिकॉर्ड में ले लिया कि कथित हत्या मामले में आरोपी बनाई गईं सुंदर और अन्य को अभी गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और न ही उनसे पूछताछ की जाएगी।
न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने सुंदर तथा अन्य को यह छूट दी कि अगर उन्हें गिरफ्तारी या पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया जाता है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। पीठ ने कहा, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी और अन्य को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और न ही उनसे पूछताछ की जाएगी। राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि मामले में कार्रवाई से पहले चार हफ्तों का अग्रिम नोटिस दें। नोटिस जारी किए जाने के बाद याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति है।
हालांकि पीठ ने सुंदर की इस याचिका पर गौर करने से इंकार कर दिया कि मामले में उन्हें और अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने या पूछताछ करने के पहले राज्य को अदालत से अनुमति लेनी चाहिए। पीठ ने कहा, नहीं, उन्हें हमेशा के लिए नहीं रोका जा सकता। अगर कोई अपराध हुआ है तो उन्हें आगे कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यह उनका वैधानिक अधिकार है। वे पहले आपको नोटिस देंगे और उसके बाद वे आगे की कार्रवाई कर सकते हैं। पीठ ने राज्य सरकार के वकील का बयान भी रिकॉर्ड में नहीं लिया और कहा कि जब पहले ही यह बयान दिया जा चुका है कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा तो और कुछ की जरूरत नहीं है। पीठ ने स्पष्ट तौर पर सरकार से कहा, हमें हर चीज को देखने की जरूरत नहीं है। आपने एक बयान दिया है। यह रिकॉर्ड में है। आपको अग्रिम नोटिस देनी होगी। आप जब आगे बढ़ना चाहें, हमें सामग्री दिखाइए।