अलविदा अम्मा....
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव तथा तमिलनाडु राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1984 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ था। राजनीति में प्रवेश से पहले जयललिता एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं। उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मों के साथ-साथ एक हिंदी और एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया। वह उन कुछ प्रतिष्ठित फिल्मी सितारों में हैं जिन्होंने न सिर्फ फिल्म के क्षेत्र में बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी खासी प्रतिष्ठा हासिल की और महत्वपूर्ण दर्जा बनाया। साल 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता बनने वाली जयललिता प्रथम महिला थीं। साल 1991 में वह पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। साल 2016 में जनता ने तीसरी बार उनको राज्य का मुख्यमंत्री चुना। वर्तमान समय में तमिलनाडु की मौजूदा राजनीति में जयललिता का ठोस नियंत्रण था। हालांकि अपने राजनैतिक जीवन में जयललिता भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर विवादों में भी रहीं। और कुछ मामलों में उन्हें कोर्ट से सजा भी हो चुकी है।
प्रारंभिक जीवन
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर में वेदावल्ली और जयराम के घर हुआ था। उनके परिवार का संबंध मैसूर के राजसी खानदान से है। उनके दादाजी मैसूर दरबार में शाही चिकित्सक थे और उन्होंने अपने परिवारजनों के नाम के प्रारंभ में ‘जय’ शब्द का प्रयोग शुरू किया ताकि लोगों को पता चले कि उनका सामाजिक संबंध मैसूर के राजा जयचमारराजेंद्र वोडेयार से है। जयललिता जब दो साल की हुईं तो उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद वे अपनी मां और नाना-नानी के साथ रहने बंगलुरु आ गईं। बंगलुरु में जयललिता ने कुछ साल तक बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पढाई की और फिर उनकी मां फिल्मों में नसीब आजमाने चेन्नई चली गईं। चेन्नई आने के बाद उन्होंने चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।
बचपन से ही जयललिता तेजस्वी विद्यार्थी थीं और वे कानून की पढ़ाई करना चाहती थीं, लेकिन नसीब में कुछ और ही लिखा था। परिवार की आर्थिक परेशानियों के कारण उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने का सुझाव दिया। महज 15 साल की आयु में जयललिता ने अपने आप को प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर लिया था। अभिनेत्री से राजनेता बनीं जयललिता के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वो अभिनेत्री कतई नहीं बनना चाहती थीं। वो बहुत अच्छी छात्रा थीं। स्कूल के दिनों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार और दसवीं कक्षा की परीक्षा में पूरे तमिलनाडु में दूसरा स्थान मिला।
राजनैतिक जीवन
अपने फिल्मी कैरियर में जयललिता ने साल 1965 से 1972 के दौर में ज्यादातर फिल्में एम.जी. रामचंद्रन के साथ की और वर्ष 1982 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भी एम॰जी॰ रामचंद्रन के साथ की। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (ए.आई.ए.डी.एम.के.) के संस्थापक एम. जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव नियुक्त किया और चार साल बाद वर्ष 1984 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। कुछ ही समय में वे पार्टी की एक सक्रिय सदस्य बन गईं। उन्हें एमजीआर का राजनैतिक साथी मानते हुए पार्टी की उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा। जब एमजीआर मुख्यमंत्री बने तो जयललिता को पार्टी का महासचिव बनाया गया। एमजीआर की मृत्यु के बाद कुछ सदस्यों ने जानकी रामचंद्रन को पार्टी का उत्तराधिकारी बनाना चाहा जिस वजह से पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। फिर 1989 में पार्टी फिर से संगठित हुई और जयललिता को पार्टी प्रमुख बनाया गया। उसके बाद से भ्रष्टाचार के कई आरोपों और विवादों के बावजूद जयललिता 1991, 2002, 2011 और 2016 में विधानसभा चुनाव जीतीं। राजनैतिक जीवन के दौरान जयललिता पर सरकारी पूंजी के गबन, गैर कानूनी ढंग से भूमि अधिग्रहण और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं। उन्हें आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में 27 सितम्बर 2014 को सजा भी हुई और मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा पर कर्णाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई 2015 को बरी कर दिया जिसके बाद वे पुनः तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन गईं।