गोरखपुर त्रासदी: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार को भेजा नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार से चार हफ्तों में जवाब तलब किया है और यह भी पूछा है कि इस मामले में मृत बच्चों के परिवार को क्या राहत प्रदान की गई और दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई।
मीडिया में छपी खबरों का संज्ञान लेते हुए NHRC ने प्रदेश के मुख्य सचिव के माध्यम से प्रदेश सरकार को नोटिस प्रेषित किया। NHRC के अनुसार, इतनी संख्या में एक सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसकी जीने की आजादी का उल्लंघन है। वहीं, ये अस्पताल के प्रशासन और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की विफलता भी दर्शाता है।
अगस्त 9-11, 2017 को NHRC ने लखनऊ में अपने open camp के दौरान जापानीज इन्सेफेलाइटिस (JE) के संबंध में राज्य सरकार के अधिकारीयों से विचार-विमर्श किया था परन्तु तब अधिकारीयों ने सब कुछ दुरुस्त होने का भरोसा दिया था, फिर भी ऐसी घटना घटी। पिछले तीन दशकों में JE और एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से करीब 50 हजार बच्चों की जान गई है।
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से इस मामले में वास्तविक तस्वीर दिखाने का आग्रह किया था और पत्रकारों को 2-3 के समूहों में हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर (critical care) वार्डों का निरीक्षण करने हेतु व्यवस्था करने के आदेश दिए थे, जिससे पत्रकार वस्तुस्थिति से अवगत होकर सही रिपोर्टिंग करें।
सीएम योगी रविवार को गोरखपुर के दौरे पर थे और उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी नड्डा भी मौजूद थे। इस दौरान योगी ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी गई है, जिसकी रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी। मीडिया से बात करते हुए भावुक हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन्होंने गोरखपुर में JE की लड़ाई सड़क से संसद तक लड़ी है और उनसे ज्यादा इस मामले में कोई भी और जुड़ाव नहीं महसूस कर सकता।