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25 October 2016

बैठक में पांच करोड़ रूपये की मांग का विरोध किया था : मुख्यमंत्री

गूगल

पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान को लेने की वजह से करण जौहर की फिल्म मनसे कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना कर रही थी। फिल्म को 28 अक्तूबर को सिनेमा घरों में प्रदर्शित होना है और पिछले हफ्ते फड़णवीस की मध्यस्थता में फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड, निर्माता और मनसे के ठाकरे के बीच बैठक में फिल्म की रिलीज सुनिश्चित की गई। बैठक में एक प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया गया कि फिल्म के निर्माता सेना कल्याण कोष में पांच करोड़ रुपये का योगदान देंगे।

फड़णवीस ने कल रात अपने आवास वर्षा में कहा,  ठाकरे ने तीन मांगें रखी थी जिनमें से दो मांगों पर कोई आपत्ति नहीं थी। जब पांच करोड़ रुपये का मुद्दा आया तो मैंने हस्तक्षेप किया और फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड को साफ किया कि उन्हें इस पर सहमत होने की जरूरत नहीं है। मैंने उनसे यह भी कहा कि योगदान स्वैच्छिक होना चाहिए। बहरहाल, इसे स्वीकार करना निर्माताओं का फैसला था। उन्होंने कहा,  मैंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारे शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा होने का गिल्ड का फैसला अच्छा है लेकिन इसमें बाध्यता नहीं है। फिर भी अगर वह अब भी ऐसा करना चाहते हैं तो वह जो भी राशि उचित समझें उसका योगदान कर सकते हैं। यह पांच करोड़ रुपये का आंकड़ा मनसे की ओर से आया था लेकिन बैठक में इस पर सहमति नहीं बनी थी और वहीं उसी वक्त इसे खारिज कर दिया गया था।

जब उनसे समझौते में मध्यस्थता के आरोपों के बारे में पूछा गया तो फड़णवीस ने कहा,  अन्य विकल्प यह था कि (जब फिल्म रिलीज हो तो) सिनेमा घरों के बाहर हजारों पुलिस स्टाफ को तैनात कर दिया जाए। तब मुझ पर यह आरोप लगता कि दीवाली पर मैंने पुलिस के छुट्टी के मूड को खराब कर दिया। मुद्दे को बातचीत के जरिए हल करना चाहिए और हम लोकतांत्रिाक सरकार हैं।

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उन्होंने कहा कि हस्तक्षेप से पहले, मुंबई पुलिस पहले ही मनसे के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर चुकी थी और इसलिए सरकार की मंशा पर शक नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि राज्य सरकार दोनो ओर से खेल रही है जो सच नहीं है। भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने इस मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप को लेकर आलोचना की है और फड़णवीस की कार्रवाई को पाकिस्तानी लोगों का पक्ष लेने वाला करार दिया है।

इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हमारी सरकार ने हुर्रियत (कॉन्फ्रेंस) जैसे अलगाववादियों से बात नहीं की या शांति के लिए नक्सल समूहों से वार्ता नहीं की? तब राजनीतिक पार्टी से चर्चा करना अपेक्षाकृत एक छोटा मुद्दा है। इसकी इतने तीखे अंदाज में आलोचना नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा,  मेरे ख्याल से सफलतापूर्वक मध्यस्थता ने कुछ लोगों को निराश किया है। उन्होंने मनसे पर नरम रूख अपनाने के आरोपों का खंडन किया और जोर दिया कि ऐसी वार्ताओं के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है।

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TAGS: Ae Dil Hai Mushkil, MNS chief, Raj Thackeray, Maharashtra, Chief Minister, Devendra Fadnavis
OUTLOOK 25 October, 2016
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