हरियाणाः तालाबंदी के डर से श्रमिकों का पलायन शुरु, उद्यमियों के लिए फिर गहराया संकट
चंडीगढ़, कोरोना की दूसरी लहर से खोफज़दा प्रवासी श्रमिकों ने फिर से अपने मूल राज्यों का रुख किया है। पंजाब की तुलना में हरियाणा में कार्यरत श्रमिक अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। देशभर में पूर्ण तालाबंदी के अासार से आंशकित श्रमिक यातायात ठप होने से पहले ही अपने घरों में सकुशल पहुंचाना चाहते हैं। हरियाणा के औद्योगिक शहर पानीपत और सोनीपत के उद्यमियों के लिए श्रमिकों का संकट फिर से गहरा रहा है। पिछले एक हफ्ते में करीब 35 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक अपने राज्यों को जा चुके हैं। पहले ही 6 महीने से दिल्ली की सटी सीमाओं पर किसान आंदोलन के चलते सोनीपत के राई और कुंडली के उद्योग प्रभावित हैं। दिल्ली में एक हफ्ते की तालाबंदी होने से कारोबारियों और श्रमिकों को दिल्ली के रास्ते आना जाना मुश्किल होगा।
पानीपत हैंडलूम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामनिवास गुप्ता के मुताबिक पानीपत की 3,000 से अधिक हैंडलूम इकाइयों का उत्पादन श्रमिकों की किल्लत के चलते 30 फीसदी घट गया है। बिहार व पश्चिम बंगाल के श्रमिकों ने एक हफ्ता पहले ही अपने घरों की ओर निकलना शुरु कर दिया था। कोरोना की दूसरी लहर में अब कारोबार और ज्यादा गिरने की चिंता है। तालाबंदी के डर में घर वापस लौटने वाले श्रमिकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। पानीपत मजदूर एकता संघ के रामशक्ल पारचा के मुताबिक ट्रेनों की सीमित संख्या और सीमित रुट के चलते मध्य-प्रदेश, पूर्वी उत्तर-प्रदेश और बिहार के श्रमिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह लोग सुविधानुसार रूट पर जहां तक भी बसें जा रही है, वहां तक का टिकट ले रहे हैं।
सोनीपत के बहालगढ़, राई और कुंडली की फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों को तालाबंदी में महीनों तक बगैर पगार के यहां फंसने का डर सता रहा है इसलिए वे अपने घरों को निकलने की तैयारी कर रहे हैं। भालगढ़ के स्टील फर्नेंस में पिछले सात साल काम करने वाले बिकाऊ चंद्र के मुताबिक उनके साथ उनके गांव बिरही(सुलतानपुर यूपी) के 8 साथी जाने को तैयार है। दिल्ली से लखनऊ तक बस मंे और आगे टैंपों में जाने की तैयारी है। बिकाऊ का कहना है कि पिछले साल भी तालाबंदी में फंसने के कारण वह और उनके साथी अपने गांव नहीं जा पाए थे और न ही फैक्टरी के मालिक ने चार महीनें तक उन्हंे पगार दी थी। इस बार तालाबंदी से पहले ही जाने की तैयारी है।
राई के मोती लाल नेहरु खेल स्कूल में माली का काम करने वाले विक्रम पिछले साल की तालाबंदी में भी मुश्किल से अपने घर पहुंचे थे। जिसके बाद काम की तलाश में दोबारा अगस्त महीने में सोनीपत आ गए थे। लेकिन बंद स्कूल ने तो नहीं रखा पर फैक्टरी में उन्हें 12 घंटे काम करने पर उतनी पगार मिली जितनी स्कूल में 6 घंटे काम करने पर मिलती थी। हरियाणा चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष दीवान कपूर का कहना है कि कोरोना में लॉकडाउन के डर से सोनीपत और पानीपत के 10,000 से अधिक लघु उद्योगों के श्रमिक इस बार भी पलायन करने लगे हैं।