हरियाणा के 1.55 लाख करोड़ रुपये के बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि पर जोर
चंडीगढ़, बतौर वित्त मंत्री हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को पेश किए गए अपने दूसरे बजट में काेरोना महामारी के बीच आर्थिक दबाव में लुभावना घोषणाओं से परहेज किया। वृद्धावस्था पेंशन में नवम्बर 2020 से रुकी हुई सालाना बढ़ोतरी बजट में की गई है। एक अप्रैल से राज्य के वृद्धों को पेंशन 2250 रुपए से बढ़कर 2500 रुपए मिलेगी। बजट में मुख्यमंत्री ने वित्तीय प्रबंधन और आंदोलनरत किसानों को साधने के लिए कृषि क्षेत्र पर जोर दिया। मुख्यमंत्री की कोशिश रही कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र व राज्य सरकार से नाराज किसानों का गुस्सा किसी तरह से शांत किया जाए। कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में करीब 10 फीसदी का इजाफा किया गया। वृद्वावस्था पेंशन 2250 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए की गई है।
बजट में स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता के आधार पर लेने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, “कोरोना के चलते स्वास्थ्य एंव आर्थिक क्षेत्र में रिकवरी और पुनरोत्थान के लिए ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। अप्रत्याशित सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के इस समय में स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान देना सर्वोपरि है। अर्थव्यवस्था की नींव कृषि के आर्थिक विकास को किसानों को सहायता जारी रखी जाएगी”। बजट में किसानों की आय बढ़ाने, फसल विविधीकरण तथा जल संरक्षण के माध्यम से कृषि के लिए हमारे हस्तक्षेपों और योजनाओं पर बल देने का प्रयास है।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के मकसद से 2021-2022 के बजट में हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का प्रावधान किया है वहीं जिला स्तर के अस्पतालाें में बेडों की संख्या भी दोगुनी की जा रही है। सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के लाभ आठ अतिरिक्त श्रेणियों को प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए धनराशि पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी। इन श्रेणियों में व्यापक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थी, मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना के तहत पंजीकृत परिवार, निर्माण श्रमिक बोर्ड, हरियाणा के मान्यता-प्राप्त मीडियाकर्मी, नम्बरदार, चौकीदार, विमुक्त घुमंतू जाति, और आजाद हिंद फौज में रहे सैनिक, हिंदी आंदोलन से जुड़े परिवार, द्वितीय विश्व युद्ध और आपातकाल के दौरान जेल गए परिवार शामिल हैं। बजट अनुमान 2021-22 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 4,606 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए 2,136 करोड़ रुपये, आयुष के लिए 315 करोड़ रुपये, कर्मचारी राज्य बीमा स्वास्थ्य देखभाल के लिए 238 करोड़ रुपये और खाद्य एवं औषध प्रशासन विभाग के लिए 42 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
बजट में 13 फीसदी की बढ़ोतरी: 2021-22 में राज्य के लिए 1,55,645 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव 2020-21 के 1,37,738 करोड़ रुपये से 13 प्रतिशत अधिक है। बजट पश्चात एक प्रेस कांफ्रेस में मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष के बजट आबंटन को सतत विकास लक्ष्यों के साथ भी संरेखित किया गया है। उन्होंने बताया कि 1,55,645 करोड़ रुपये के कुल बजट में से 45,066 करोड़ रुपये राज्य में क्रियान्वित की जा रही सत्तत विकास परियोजनाओं के लिए आवंटित किए गए हैं। राज्य के , ‘मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना’ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू करने, अन्तिम व्यक्ति तक पहुंच के लिए तकनीक का अधिकतम उपयोग करने का काम किया है। पिछले साल के बजट में वेंटिलेटर और एएलएस एम्बूलेंस की संख्या बढ़ाने का प्रावधान किया गया था। उन्होंने बताया कि पिछले साल के बजट में राज्य के सभी जिलों मेें एमआरआई, कैथ लैब और सिटी स्केन की सुविधाओं के विस्तार को अब क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के सुधार और कृषि क्षेत्र सहित आधारभूत ढांचे में निवेश के लिए भविष्य में भी इसी प्रकार काम करती रहेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन विनियमों (एफआरबीएम) का पालन करते हुए अपने राजकोषीय घाटे को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के भीतर रखने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि कोविड-19 संकट के कारण राज्य में आर्थिक गतिविधियों के रुकने से राज्य सरकार की राजस्व प्राप्ति पर भारी दबाव पड़ा है। दूसरी ओर चिकित्सा, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में इस महामारी से राहत के उपायों के कारण खर्च में भारी वृद्धि हुई है। इससे राज्य का राजकोषीय घाटा और भी बढ़ा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे की सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत तक किया था। 40,661 करोड़ रुपये की स्वीकृति ऋण राशि को 30,000 करोड़ रुपये के बाजार उधार तक सीमित रखा है जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि संशोधित अनुमान 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.90 प्रतिशत अनुमानित है। आगामी वर्ष 2021-22 के लिए यह सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.83 प्रतिशत अनुमानित है, जोकि पूरी तरह से 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित 4.0 प्रतिशत की सीमा के अन्दर है।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने कठोर उपायों को अपनाकर लगभग 8585 करोड़ रुपये की उधारी क्षमता का उपयोग नहीं किया। इस बार बजट का अधिक प्रयोग इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाअांे पर होगा। हर जिले में 200 बिस्तर का सरकारी अस्पताल, मातृ एवं बाल अस्पतालों की स्थापना करना, जैव सुरक्षा प्रयोगशालाएं, गन्नौर में अन्तर्राष्ट्रीय बागवानी मंडी, पिंजौर में सेब मंडी, सेरसा (सोनीपत) में मसाला मंडी, सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के साथ-साथ विशिष्ट परियोजनाएं जैसे कि- ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर, दिल्ली और करनाल के बीच हाई स्पीड रेल कनेक्टिविटी, गुरुग्राम और अन्य क्षेत्रों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार तथा इसी तरह की अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
लाइसेंस के नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त करके उद्योग पर बोझ कम किया है। सरकार ने विभागों में विभिन्न लाइसेंसों के लिए स्वत: नवीनीकरण का भी प्रावधान किया है। बजट की मुख्य प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा , ‘मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना’ के तहत, लोगों को 7 तरह की सेवाएं, जैसेकि सर्जरी, प्रयोगशाला परीक्षण, डायग्नोस्टिक्स (एक्स-रे, ईसीजी, और अल्ट्रासाउंड सेवाएं), ओपीडी/इनडोर सेवाएं, दवाएं, रेफरल परिवहन और दंत उपचार सेवाएं नि:शुल्क प्रदान की जा रही हैं।