स्वास्थ्य खर्चः हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड सबसे पीछे, प्रति व्यक्ति पर पिछले तीन सालों से रोजाना मात्र 5.38 रुपए का खर्च
सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन ने पिछले तीन वर्षों का हिमालयी राज्यों में जन स्वास्थ्य (प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष) पर खर्च राशि का ब्योरा जारी किया है। यह फैक्टशीट रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के स्टेट फाइनेंस-2019 रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। इससे पता चलता है कि प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं में किए गए खर्च में भी उत्तराखंड 10 हिमालयी राज्यों में सबसे निचले पायदान पर है।
एसडीएस फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि इस समय जबकि राज्य में सेकेंड वेब धीमी पड़ रही है। यह सही समय है कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किये जाने वाले बजट पर बात की जाए। अनूप के मुताबिक मात्र 5. 38 रुपये प्रति दिन प्रति व्यक्ति व्यय से पर्वतीय प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जा सकती और सरकार को स्वास्थ्य के बजट को अन्य राज्यों के निकट लाने की आवश्यकता है।
वो कहते हैं कि देश के सभी राज्यों में कोविड की स्थिति के अध्ययन के दौरान यह बात सामने निरंतर आई थी कि उत्तराखंड मे कोविड केस, पॉजिटिविटी रेट और डेथ रेट में राज्य की स्थिति अधिकांश समय निचले पायदान पर हैं। अब प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर खर्च किये जाने वाले आंकड़े संकेत करते हैं कि राज्य में पब्लिक हेल्थ से निपटने के दौरान जो समस्याएं इतने वर्षों से सामने हैं और जिस तरह से कोविड स्थिति को संभालने में राज्य नाकाम हुआ, उसके लिए कहीं न कहीं बजट की कमी अवश्य कारण रही है। सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन (एसडीसी) की फैक्टशीट बताती है कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच हिमालयी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं पर अरुणाचल प्रदेश से सबसे ज्यादा 28,417 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किए हैं। जबकि उत्तराखंड ने इन तीन वर्षों में सबसे कम मात्र 5,887 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किए। हिमालयी राज्य सिक्किम ने इस दौरान 21,137, मिजोरम ने 16,712, हिमाचल प्रदेश ने 10,176, मेघालय ने 9,856, जम्मू एंड कश्मीर ने 9,469, मणिपुर ने 7,755 और त्रिपुरा ने 7,156 रुपये प्रति व्यक्ति जन स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च किए। फैक्टशीट बताती है कि नॉर्थ-ईस्ट के हिमालयी राज्यों में पिछले तीन सालों में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं में राष्ट्रीय औसत से करीब तीन गुना ज्यादा धनराशि खर्च की है। पड़ोसी राज्य हिमाचल ने उत्तरखंड की तुलना मे प्रति व्यक्ति पर 72 फीसदी ज्यादा खर्च किया है।
एसडीसी के रिसर्च हेड ऋषभ श्रीवास्तव कहते हैं कि स्वास्थ्य बजट के हिमालयी राज्यों के आंकड़े साफ कर देते हैं कि राज्य की स्थिति लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने में इतनी खराब क्यों है। बजट अच्छा होने पर ज्यादा डॉक्टर, ज्यादा डाग्नोस्टिक सुविधाएं और ज्यादा दवाइयां मिल सकेंगी। लेकिन, उत्तराखंड में ऐसा नहीं किया जा रहा है। ऋषभ कहते हैं कि बजट में बढ़ोत्तरी करके ज्यादा सुविधा दी जा सकती हैं। इससे लोगों को कम असुविधा होगी और ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। वे कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष कम से कम 3800 रुपये खर्च किए जाने चाहिए।