नौकरियों के वादे के अपने ही जाल में फंसे सीएम सोरेन, झारखण्ड युवा मांगे रोजगार हैशटैग कर रहा ड्रेंड
झामुमो ने बेरोजगारी को विधानसभा चुनाव में रघुवर सरकार को घेरने का बड़ा हथियार बनाया था। अपनी सरकार आने पर पांच लाख लोगों को नौकरी का वादा किया था। चालू वर्ष को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया था। अब यही स्लोगन सरकार पर भारी पड़ रहा है। झारखण्ड के युवा रोजगार की मांग को लेकर ट्विटर पर अभियान चला रहे हैं। झारखण्ड युवा मांगे रोजगार हैश टैग से 21 जून से ट्विटर महाअभियान शुरू किया गया है। नियुक्ति वर्ष तक अंतिम संस्कार अभियान 3 जुलाई तक चलेगा। यह ट्विटर पर लगातार ट्रेंड कर रहा है।
अब तक कई लाख ट्विट, रिट्विट हो चुके हैं। वही रांची में जब इस अभियान वाले स्लोगन के साथ झामुमो के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को टैग किया। तो सोनू ने लिखा कि कुछ दिनों से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लोटफॉर्म पर झारखण्ड के युवक और युवतियां नौकरियों के प्रश्न पर उद्वेलित हैं। उनके द्वारा विशेषकर वी रांची जिन्होंने मुझे टैग किया और आपके द्वारा चलाये जा रहे हैश टैग झारखण्ड युवा मांगे रोजगार का मैं पूर्ण रूपेण समर्थन करता हूं। हैरत की बात है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हैंडल से इसे रिट्विट किया गया है। यानी हेमन्त सोरेन का भी समर्थन मिला है। सुदिव्य सोनू ने एक और ट्विट में यह भी लिखा है कि आपको पूर्ण अधिकार है कि आप चाबुक फटकार कर सरकार तक अपने आक्रोश को अभिव्यक्त करें परंतु आपसे निनम्र आग्रह है कि आप इन अवसरवादी नेताओं से भी सचेत रहें।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 2021 को नियुक्तियों को वर्ष घोषित किया है। अभी छह माह शेष हैं, आप अधीर न हों। यह जुमला नहीं है। हमारी शपथ है, सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा की है। जब भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव बीच में कूदे और सुदिव्य सोनू के ट्विट को टैग करते हुए लिखा कि झामुमो विधायक ने स्वीकार किया कि नियुक्ति वर्ष का अंतिम संस्कार सरकार कर रही है। अपनी सरकार के लिए के लिए ऐसा सत्य बोलने के लिए हिम्मत चाहिए। बैनर को रिट्विट कर के विधायक जी ने बेरोजगारों के आंदोलन का समर्थन भी किया है। तब सोनू ने कई काउंटर किये। पांच लाख नौकरी को लेकर सोशल मीडिया पर भांति-भांति के सवाल उठाये जा रहे हैं। बीते बजट सत्र के समापन के समय पर व्यवस्था की खामियां गिनाते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का कहा था कि राज्य में 35 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं।
हेमन्त सरकार को सत्ता में आये करीब डेढ़ साल हो गये हैं मगर कोरोना के कारण अधिकतर नीतिगत मामले प्रभावित हैं। नियुक्ति के लिए परीक्षाएं नहीं हो सकी हैं। पूर्व में चयनित लोगों के मामले भी फंसे हुए हैं। सातवीं से दसवीं राज्य लोक सेवा आयोग की संयुक्त परीक्षा के लिए फार्म भरे कई माह बीत गए मगर परीक्षा नहीं हुई। जेएसएसी सीजीएल बीते छह साल से अधर में है। स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के लिए दो साल पहले परीक्षा हुई थी रिजल्ट नहीं आया है। टेट पास उम्मीदवारों की सीधी नियुक्ति का वादा भी अधर में है। पंचायत सचिव की नियुक्ति पर भी सरकार ने रोक लगा रखी है। परीक्षा के सात साल बाद भी कनीय अभियंताओं की नियुक्ति नहीं हो सकी है। हालात ऐसे रहे तो रघुवर सरकार की तरह हेमन्त सरकार को भी युवाओं की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।