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23 March 2020

छत्तीसगढ़ में कैसे हुआ नक्सली हमला और कहां हुई चूक

File Photo

छत्तीसगढ़ में शनिवार को नक्सली मुठभेड़ में डीआरजी और एसटीएफ के 17 जवानों की शहादत बड़ी रणनीतिक चूक है। आत्मविश्वास से भरे जवान नक्सलियों की जाल में फंस गए। राज्य में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद यह बड़ी नक्सली वारदात है। यह घटना भूपेश सरकार के लिए बड़ा झटका जैसा है। कांग्रेस सरकार आम लोगों की हित में कई कदम उठाने से राज्य में नक्सली घटना बंद होने का दावा कर रही थी। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा विधायक भीमा मंडावी नक्सली वारदात के शिकार हुए थे। जगदलपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर सुकमा जिले के कसालपाड़ इलाके में आमने-सामने की लड़ाई में 17 जवान शहीद और 15 घायल हो गए। यह इलाका तेलंगाना की सीमा से 15-20 किलोमीटर ही दूर है और इसे नक्सलियों का पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन एक  का क्षेत्र कहा जाता है। यह बटालियन  अधिकांश नक्सली वारदातों को अंजाम दे चुका है। इस बटालियन के कमांडर हिड़मा को रणनीतिक रूप से काफी चालाक कहा जाता है। 

पुलिस की डीआरजी (डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड) में सरेंडर नक्सलियों और स्थानीय युवाओं को ही रखा गया  है। वे बस्तर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होते हैं। उन्हें स्थानीय बोली भी आती है। वे अन्य सुरक्षाबलों के अगुआ होते हैं। वे नक्सलियों की रणनीति से भी वाकिफ हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब डीआरजी के जवानों को इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों ने निशाना बनाया है।

जवानों ने इनामी नक्सली बदरू माड़वी को मार गिराया

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बस्तर में पिछले 20- 25 दिनों से आपरेशन प्रहार चल रहा है। डीजीपी डीएम अवस्थी के दौरे और आपरेशन पर चर्चा के बाद टीसीओसी ( टेक्निकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन) के तहत पुलिस ने आपरेशन को तेज कर दिया। गुरुवार को दंतेवाड़ा जिले के गमपुर के जंगलों में घुसकर डीआरजी और सीआरपीएफ के जवानों ने इनामी नक्सली बदरू माड़वी को मार गिराया। पुलिस को गमपुर में नक्सली नेता पापराव, चैतू, विनोद, देवा और विद्या की मौजूदगी की सूचना मिली थी। बदरू को गंगालूर एरिया कमेटी का मेडिकल टीम प्रभारी और आईईडी बनाने  का एक्सपर्ट कहा जा रहा है। इस पर दो लाख का इनाम था।  पांच महीने में फोर्स को यह बड़ी सफलता मिली थी। सफलता के बाद जवानों ने पल्ली के जंगलों में बैठकर टीम लीडर वैभव मिश्रा का जन्म दिन मनाया। टीसीओसी के दौरान ही कसलपाड़  में 200 से 250 नक्सलियों के एकत्र होने की पुख्ता सूचना मिली थी।

जंगल में घुसने के बाद दो टुकड़ी में बंट गए थे जवान 

इसके बाद डीआरजी, एसटीएफ ओर कोबरा के लगभग 600 जवान शुक्रवार को सुकमा जिले के दोरनापाल से कसलपाड़ रवाना किए गए। जंगल में घुसने के बाद जवान दो टुकड़ी में बंट गए थे। एक टुकड़ी में डीआरजी और एसटीएफ के जवान थे और दूसरी टुकड़ी में कोबरा बटालियन के जवान थे। बताया जा रहा है कि जवान नक्सलियों को सरप्राइज एनकाउंटर में फंसाना चाह रहे थे, लेकिन नक्सलियों तक यह खबर पहले ही पहुंच गई। नक्सलियों ने रणनीति के तहत जवानों को जंगलों के अंदर तक आने दिया। डीआरजी और एसटीएफ के  जवान कसालपाड़ के आगे तक गए और जब नक्सली हलचल नहीं दिखी तो वे लौटने लगे। जैसे ही सुरक्षा बल कसालपाड़ से निकले, शाम करीब 4 बजे नक्सलियों के लगाए एंबुश में फंस गए। कसालपाड़ से कुछ दूर कोराज डोंगरी के पास नक्सलियों ने पहाड़ के ऊपर से जवानों पर हमला बोल दिया। अचानक हुई गोलीबारी में कुछ जवान घायल हो गए। अचानक हुए इस हमले से जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला। हालांकि जवानों ने नक्सलियों पर फायर किये , लेकिन ऊंचाई का फायदा उठाते हुए जवानों पर निशाना लगाया, जिससे उन्हें नुकसान हुआ। 

शनिवार को मुठभेड़ में 17 जवान शहीद

बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि सुकमा में शनिवार को मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए। लापता हुए 14 जवानों के शव 20 घंटे बाद रविवार को मिले। तीन जवानों के शहीद होने की देर रात ही पुष्टि हो गई थी। शहीद होने वाले 12 जवान डीआरजी के और 5 एसटीएफ के हैं। डीआरजी के 11 शहीद  जवान सुकमा जिले के ही रहने वाले हैं। नक्सली 12 एके-47 , इंसास, LMG और UBGL समेत 15 हथियार भी लूटकर ले गए। इस घटना के बारे में अधिकारी कुछ ज्यादा नहीं बता रहे हैं, लेकिन पुलिस के सांमने  कई तरह की चुनौतियां हैं। एक तो दबाव के कारण जवान आत्महत्या कर रहे हैं। तीन महीने में करीब आठ जवान आत्महत्या कर चुके हैं।

रविवार को दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा क्षेत्र के बड़े गुडरा सीआरपीएफ पोस्ट क्रमांक 195  में एक जवान ने अपने सर्विस रायफल से खुद को गोली मार ली। दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि जवान ने यह कदम क्यों उठाया, उसके कारणों का खुलासा नहीं हुआ है। 

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TAGS: Naxalite attack, place, in Chhattisgarh, where it, was missed
OUTLOOK 23 March, 2020
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