दादरी कांड: अदालत आदेश दे तो सीबीआई जांच को तैयार यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया, यदि अदालत को लगे कि जांच में कुछ अधूरा रह गया है तो सरकार तत्काल संज्ञान लेगी और निष्पक्ष जांच की जाएगी। यदि अदालत को लगता है कि सीबीआई जांच प्रासंगिक है तो सरकार उसके आदेश का पालन करेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फरवरी में केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार से एक याचिका पर जवाब तलब किया था। याचिका नोएडा से भाजपा के एक कार्यकर्ता की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसे बीफ खाने को लेकर हुए दादरी हत्या मामले में गलत ढंग से फंसाया जा रहा है। कार्यकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि वह मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दे।
न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण और न्यायमूर्ति नाहीद आरा मूनिस ने केन्द्र और राज्य सरकारों से चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके बाद याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामे पर अपनी बात रखने के लिए दो सप्ताह का समय और दिया। मामले की सुनवाई की तारीख छह अप्रैल तय की गई है। भाजपा कार्यकर्ता संजय सिंह की याचिका पर अदालत ने उक्त आदेश दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य पुलिस मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से नहीं कर रही है और उन्हें जबर्दस्ती और गलत ढंग से इस मामले में फंसा रही है। राज्य पुलिस सत्ताधारी सपा सरकार के इशारे पर ऐसा कर रही है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता का ये कहना गलत है कि जांच राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में की गई। उन्होंने कहा कि वस्तुत: जांच निष्पक्ष साक्ष्यों एवं प्रमाणों पर आधारित है। आरोपपत्र उन्हीं आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया, जिनके खिलाफ ठोस सबूत पाए गए।
अखलाक की हत्या 28 सितंबर 2015 को कर दी गई थी। अखलाक की पत्नी का आरोप है कि 10 से 15 हथियारबंद लोग उसके घर में घुस आए और उसके पति और बेटे दानिश को पीटना शुरू कर दिया। उनका इरादा दोनों की हत्या करना था। पत्नी ने आगे कहा कि वह, उसकी सास तथा बेटी ने अखलाक और दानिश को बचाने की कोशिश की लेकिन हमलावरों ने उन्हें भी नहीं बख्शा।