यूपी में नहीं रुक पा रहा अवैध खनन, भाजपा विधायक ने सीएम को लिखा पत्र
प्रदेश में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले पा रहा है। अवैध खनन को लेकर भाजपा विधायक का मुख्यमंत्री को भेजा गया पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके पत्र से एक तरफ अधिकारियों में हड़कंप है तो दूसरी तरफ अधिकारियों की आपसी सांठगांठ से अवैध खनन होने का खुलासा हुआ है। अवैध खनन नहीं रुकने पर बागपत जिले के भाजपा विधायक ने खुद मुख्यमंत्री से शिकायत की है।
भाजपा विधायक केपी मलिक ने बागपत में हो रहे अवैध खनन की शिकायत मुख्यमंत्री से की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पत्र में कहा है कि इस बारे में उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर को भी शिकायत की थी, जिसके बाद अवैध खनन बंद हो गया था, लेकिन फिर शुरू हो गया है। उन्होंने बागपत जिले के विधानसभा क्षेत्र बड़ौत के ग्राम कोताना और खेड़ी प्रधान (मजरा कोताना) में अवैध खनन को तत्काल बंद कराने, खनन माफिया और इसमें संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने एनजीटी के अध्यक्ष, कमिश्नर मेरठ, डीएम बागपत और एसपी बागपत को भी भेजी है।
बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन
विधायक ने पत्र में आरोप लगाया है कि माफिया द्वारा बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड वाहन आने जाने से इलाके की सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। खनन माफिया द्वारा दबंगई और हथियारों से ग्रामवासियों को डरा धमकाकर अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है। माफिया के 30 से 40 गुर्गे अवैध हथियारों समेत खनन क्षेत्र के इर्द-गिर्द रहते हैं।
‘कई बार चल चुकी हैं गोलियां’
पत्र में लिखा है कि स्थानीय लोगों के विरोध करने पर कई बार झगड़ा हो चुका है और गोलियां चल चुकी हैं। विधायक ने पत्र में कहा है कि खनन में पोर्कलेन मशीनों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है, जिससे यमुना नदी में गहरे गड्ढ़े हो गए हैं। पहले बने इन गड्ढ़ों में किसानों और मजदूरों की मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा ग्राम काठा में भीषण नाव हादसे में कई पुरुषों और महिलाओं की मौत हो चुकी है।
इस बारे में विधायक केपी मलिक ने बताया कि मुख्यमंत्री को पत्र भेजने के बाद कल रात से खनन बंद हुआ है। इस बाबत पहले भी शिकायत की गई थी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और दुबारा खनन शुरू हो गया।
अवैध खनन और ओवरलोडिंग से होती है करोड़ों की काली कमाई
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद खनन के कारोबार को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए गए थे, लेकिन शिकंजा कसने पर रेत की कीमतें आसमान छूने लगीं, जिसके बाद फिर नियमों में ढील दी गई, लेकिन खनन कारोबार से जुड़े माफिया और कारोबारी नहीं बदले। प्रदेश में अधिकारियों से मिलीभगत कर अवैध खनन और ओवरलोडिंग से करोड़ों की काली कमाई इकट्ठा की जा रही है। कई बार अधिकारियों ने औचक निरीक्षण भी किया है, लेकिन स्थिति फिर जस की तस हो जा रही है।