नीति आयोग की बैठक में सोरेन सरकार का केंद्र के सौतेलेपन पर छलका दर्द, कहा- विकास के लिए आपसी समन्वय जरूरी
नीति आयोग के साथ बुधवार को चली करीब ढाई-तीन घंटे की बैठक में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का केंद्र का राज्य के प्रति सौतेला व्यवहार का दर्द छलका। केंद्र के व्यवहार को लेकर उन्होंने एक-एक बिंदु उठाये। कोयला, ऊर्जा, रेलवे राजस्व, जल संसाधन, खनिज, ग्रामीण विकास, सिविल एविएशन, जनजातीय मामले, सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े विषयों पर विशेष हुई चर्चा हुई। कहा कि राज्य की समस्याओं और जरूरतों को देखते हुए उसी के हिसाब से नीति और कार्य योजना बनाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बैठक है इससे केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय से विकास को गति और नई दिशा मिलेगी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बेहतरी के लिए अलग से नीति बनाने पर जोर दिया।
वे बुधवार को नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के नेतृत्व में 8 सदस्यीय टीम तथा वर्चुअल माध्यम से जुड़े केंद्र के अधिकारियों के साथ विममर्श किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि 20-22 विषयों पर विशेष रूप से चर्चा हुई। डीवीसी के बकाया मद में राज्य के खजाने से सीधे पैसे काटने के मुद्दे को रखा। इस मद में 2800 करोड़ रुपये काटे जा चुके हैं। 2200 करोड़ और काटे जाने की बात है। करीब 1100 करोड़ रुपये आने वाले दिसंबर में काटने की सूचना है। इस विषय पर आगे का समाधान डीवीसी को लेकर जबतक न निकले तब तक केंद्र पैसा काटना बंद करे, हमने आग्रह किया है। इसी तरह केंद्रीय कोयला उपक्रमों द्वारा राज्य सरकार को रायल्टी नहीं देने, वासरी से रायल्टी नहीं मिलना, सरकारी जमीन का मुआवजा नहीं मिलना को भी रखा गया। हजारों करोड़ का बकाया कोल इंडिया के माध्यम से मिलना है नहीं मिल रहा है। बातें रखी गई है। 15 वें वित्त आयोग से कुपोषण को लेकर करीब 300 करोड़ से अधिक का पैसा आवंटन का भी आग्रह किया है।
जीएसटी कंपनसेशन मद में 18-1900 करोड़ रुपये मिलना है। नीति आयोग के अफसरों ने बताया कि कानपुर में जल्द ही जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है उसमें कुछ समाधान निकलना चाहिए। प्रदेश के शैडो एरिया, पलामू, गढ़वा में पाइप लाइन से सिंचाई परियोजना को एआइबीपी में शामिल करना का भी आग्रह किया है। इसके अलावा धनबाद, रामगढ़ के लिए आइएनडी की 600 करोड़ की परियोजना को स्वीकृत करने का अनुरोध किया है इससे राज्य में दामोदर नदी साफ हो सके। प्रधानमंत्री आवास योजना में करीब तीन लाख छूटे हुए लोगों को केंद्र के पोर्टल बंद करने से नहीं मिल रहा है को खोलने का आग्रह किया गया है। निजी अस्पतालों में भुगतान के आधार पर 25 प्रतिशत वैक्सीन के कोटा की शर्त शिथिल करने का आग्रह किया है। क्येंकि यहां निजी अस्पतालों में वह आधारभूत संरचना नहीं है।
वैक्सीन की मात्रा बढ़ाने का आग्रह किया है ताकि टीकाकरण की अपनी क्षमता का हम इस्तेमाल कर सकें। हमारी क्षमता दैनिक साढ़े तीन से चार लाख लोगों को टीका देने की जो सवा लाख डेढ़ लाख दे पा रहे हैं। राज्य में जो खनन होता है उन क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया है। सौ साल से चल रहा है स्थानीय लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इस पर रिपोर्ट बनना चाहिए कि वास्तव में खनन से स्थानीय लोगों को कितना लाभ मिल रहा है, सेहत पर क्या असर हो रहा है। उद्योग को लेकर राज्य सरकार ने नई नीति बनाई है, नये के साथ छोटे उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है। एसटी, एससी बहुल राज्य है सीजीएसटी और अन्य तरह के टैक्स से राहत मिले ताकि पूर्वोत्तर राज्य की भांति यहां के लोग में कारोबार, उद्योग में आगे आ सकें। केंद्र ने राज्य के 13 नक्सल प्रभावित इलाकों को घटाकर आठ कर दिया है। इस मद में केंद्र से मदद से वहां विकास के काम हो रहे थे, सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे थे। इन जिलों को पुन: बढ़ाने का आग्रह किया गया है।
नीति आयोग की तरफ से मंत्रालयों और आयोग से आगे बैठक कर उलझन को सुलझाने का भरोसा दिया गया। पॉल साहब ने कहा है कि संघीय ढांचा को मजबूत करना है मैंने भी कहा है कि हम भी उसके पक्ष के लोग हैं, यह परंपरा बनी रहनी चाहिए। पहली बैठक है, पहला अच्छा परिणाम तो अंत भी अच्छा
सीमित संसाधन, चुनौतियां अनेक
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पास संसाधन सीमित हैं लेकिन चुनौतियां अनेक हैं। ऐसे में राज्य सरकार की जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार को सहयोग करने की जरूरत है ताकि इन चुनौतियों से निपटा जा सके। झारखंड यहां खनिज का भंडार है। यहां से खनिज दूसरे राज्य और विदेश भेजे जाते हैं जहां उसकी प्रोसेसिंग होती है। प्रदेश में ही खनिज आधारित परियोजनाओं को स्थापित करने पर जोर दिया, कहा कि इससे राज्य के विकास के साथ यहां के लोगों का सर्वांगीण विकास संभव होगा ।
इस बैठक में राज्य के वित्त मंत्री श्री रामेश्वर उरांव, नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल, राज्य के मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त श्री अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का आदि विमर्श में शामिल थे।