मध्यप्रदेश में कलेक्टर ने एएसआई को मारा थप्पड़, कार्रवाई की लटकी तलवार
मध्यप्रदेश में महिला अफसरों के आपा खोने की घटनाएं आम हो गई हैं। गुस्से में वे मातहतों पर हाथ छोड़ने में भी गुरेज नहीं कर रही हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ की कलेक्टर से जुड़ा है। कलेक्टर निधि निवेदिता ने पुलिस के एक सहायक उप निरीक्षक को थप्पड़ मार दिया। डीजीपी वीके सिंह ने गृह सचिव को पत्र लिखकर पूरी घटना की जानकारी दी, साथ ही कार्रवाई की अनुशंसा की है। अब इस घटना ने तूल पकड़ लिया है।
कलेक्टर निधि 19 जनवरी को बीजेपी नेता को थप्पड़ मारकर सुर्खियों में आई थीं। उन्होंने उसी दिन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में हुई रैली के दौरान एक एएसआई को भी पीटा था। एएसआई नरेश शर्मा की शिकायत की जांच एसडीओपी सौम्या अग्रवाल ने की। जांच में शिकायत सही पाई गई। यह जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भेजी गई थी। एएसआई की शिकायत और जांच रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी वीके सिंह ने गृह सचिव को पत्र लिखकर पूरी घटना की जानकारी दी, साथ ही कार्रवाई की अनुशंसा की है।
आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन में मतभेद
कहा जा रहा है कि पुलिस चाहे तो सीधे कार्रवाई कर सकती थी, लेकिन मामला कलेक्टर से जुड़ा होने की वजह से सरकार को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी गई है। इस पत्र के बाद आईएएस एसोसिएशन और आईपीएस एसोसिएशन में मतभेद उभर आए हैं। राजगढ़ में कलेक्टर निधि निवेदिता द्वारा भाजपा नेता के साथ की गई मारपीट के बाद जब भाजपा ने उनके विरोध में सभा का आयोजन किया, तब मंच से एक पूर्व मंत्री ने आपत्तिजनक बयान दिया। इस बयान के तत्काल बाद आईएएस एसोसिएशन ने कलेक्टर के समर्थन में मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा। अब जब कलेक्टर, पुलिस की जांच में दोषी पाई गई हैं तो आईएएस एसोसिएशन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने कलेक्टर निधि निवेदिता के व्यवहार का खुलकर समर्थन किया था। अब एएसआई को थप्पड़ मारने की घटना पर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भाजपा नेताओं पर उठाया हाथ
राजगढ़ में भाजपा सांसद रोडमल नागर ने 19 जनवरी 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रैली का आयोजन किया था। सारी तैयारियां हो जाने के बाद 16 जनवरी को कलेक्टर निधि ने रैली को परमिशन देने से मना कर दिया। अनुमति नहीं मिलने के बाद भी भाजपा ने रैली निकाली। डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा का भाजपा नेताओं से विवाद और धक्का-मुक्की हुई। तभी किसी ने उनकी चोटी खींच दी। इससे गुस्साए डिप्टी कलेक्टर प्रिया पुलिस को निर्देश देने के बजाय स्वयं प्रदर्शनकारियों से भिड़ गईं।
सोशल मीडिया पर लिखा- नेता खुद को भगवान समझते हैं
राजगढ़ की घटना को आधार बनाकर अशोकनगर में पदस्थ कलेक्टर मंजू शर्मा ने सोशल मीडिया पर नेताओं के विरोध में बेहद तीखी टिप्पणी की। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- नेता अपने को भगवान समझते हैं और मनमानी करते हैं। छिंदवाड़ा जिले की चौराई तहसील मुख्यालय में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में चौराई की एसडीएम मेघा शर्मा ने पूर्व विधायक को बोलने से रोक दिया। यहां पर एसडीएम ने ही नागरिकता कानून को विवादित बता दिया। सीहोर जिले के आष्टा की एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने शहर के एक पुराने और प्रसिद्ध मंदिर में लगे लाउडस्पीकर को बंद करने का आदेश दे दिया। इसका हिन्दू उत्सव समिति ने जमकर विरोध किया और भेदभाव का आरोप लगाया।
महिला अफसर ने मंत्री का पैर छूकर किया था स्वागत
कुछ महीने पहले देवास नगर निगम की कमिश्नर संजना जैन ने सार्वजानिक तौर पर राज्य के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पांव छूकर स्वागत किया था। वर्मा शहर के विकास कार्यों का लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होने आये थे। एक आईएएस अफसर होने के बाद भी मंत्री के पैर छूकर स्वागत को लेकर सोशल मीडिया में उनकी खूब निंदा हुई थी। भाजपा ने तब कहा था- मंत्री के पैर छू रहीं हैं तो विपक्ष का क्या सुनेंगी।
मंत्री के अनुमोदन के बिना जारी कर दिया आदेश
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव रही गौरी सिंह ने मंत्री के अनुमोदन के बिना ही पंचायत चुनाव के संबंध में एक आदेश जारी कर दिया। इसके बाद तत्काल उनका विभाग बदल दिया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति के लिए आवेदन कर दिया।
महिला अफसरों के व्यवहार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह नाराजगी जता चुके हैं। भाजपा ने अफसरों की शिकायत केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से की है।