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25 May 2021

भूख ने अंतर्राष्‍ट्रीय खिलाड़‍ियों का छुड़ाया खेल मैदान, ईंट भट्ठे पर काम कर, कुदाल चला, दोना बना पाल रहीं पेट

अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के मैचों में अपना खम दिखने वाले फुटबॉल खिलाड़ी कोरोना में किक मारना भूल गये हैं। पेट की आग और घर की जिम्‍मेदारी के कारण कोई पत्‍तल बेच रहा है, कोई ईंट के भट्ठे में कुली की तरह ईंट ढो रहा है तो कोई खेतों में कुदाल चलाकर अपना पेट भर रहा है। हम बात कर रहे हैं झारखण्‍ड की प्रतिभावान फुटबॉल खिलाड़‍ियों की। हेमन्‍त सरकार की नई खेल नीति भी इनके काम नहीं आ पा रही है। पिछले लॉकडाउन में इनकी बदहाली जानने के बावजूद सरकार ने सीख नहीं ली। या कहें इन सितारों के लिए कोई मुकम्‍मल इंतजाम नहीं कर सकी। अंतर्राष्‍ट्रीय मैच में हिस्‍सा लेने के बावजूद इन्‍हें एक नौकरी तक नसीब नहीं हुई। धनबाद की संगीता सोरेन हो या धनबाद की ही आशा या और दूसरे नाम।

धनबाद के बाघमारा के रेंगुनी पंचायत के बांसमुड़ी गांव की संगीता सोरेन अंतर्राष्‍ट्रीय फुटबॉल मैच में भारत का प्रतिनिधित्‍व कर चुकी है। 2018 में भूटान और थाइलैंड में अपना जलवा दिखा चुकी है। पिछले साल कोरोना के दौरान जंगलों से पत्‍ता ला, मां के साथ दोना बनाकर बेचकर घर का सहारा बनी। इस बार के लॉकडाउन में उसे ईंट भट्ठे में ईंट ढोकर घर का सहारा बनना पड़ा। संगीता का भाई भी दिहाड़ी मजदूर है। मां भी मजदूरी करती है। पिता के आंखों की रोशनी ठीक नहीं है। सात सदस्‍यों के परिवार के लिए काम तो करना ही होगा। कोरोना में दैनिक मजदूरी पर भी संकट है। विदेशी मैदान में किक पर तालियां बटोरने वालों को इस दौर से गुजरना पड़े तो उनकी मन:स्थिति की कल्‍पना कर सकते हैं। पिछली बार दोना बनाते तस्‍वीर वायरल हुई थी तो मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने संज्ञान लिया था, दस हजार रुपये उसे भेज गये थे। इसबार ईंट भट्ठे में मजदूरी करते तस्‍वीर वायरल हुई तो। राष्‍ट्रीय महिला आयोग के साथ केंद्रीय खेल मंत्री आगे आये। मंत्रालय के अधिकारियों को मदद का निर्देश दिया। मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन के संज्ञान में भी मामला आया। तो उन्‍होंने अधिकारियों को उसे एक लाख रुपये देने और धनबाद में डे बोर्डिंग सेंटर खोलकर संगीता को कोच बनाने की तैयारी चल रही है। धनबाद के डीसी ने दो दिन पहले संगीता के घर अधीनस्‍थ अधिकारियों को भेजा, भोजन सामग्री और कुछ आर्थिक मदद कराई।

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भूटान के ही थिंकू में अंतर्राष्‍ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में हिस्‍सा ले चुकी आशा की तकदीर संगीता जैसी नहीं है। इसने भी 2018 में अंडर 18 में सैफ टूर्नामेंट खेलने भूटान गई थी और ब्रांज मेंडल हासिल किया था। इसकी मदद में उस कदर लोग सामने नहीं आये हैं। धनबाद के तोपचांची ब्‍लॉक आदिवासी बहुल लक्ष्‍मीपुर गांव की रहने वाली आशा दस राष्‍ट्रीय फुटबॉल मैचों में झारखण्‍ड का प्रतिनिधित्‍व कर चुकी है। पिछले लॉकडाउन के दौरान धनबाद के डीसी ने 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद की थी। पिता बचपन में ही चल बसे। बड़ा भाई दिहाड़ी मजदूर है। वह खेतों में सब्‍जी उगाती है ताकि मां बाजार में उसके बेच सके। मां गोमो के बाजार में जाकर सब्‍जी बेचती है। आशा के साथ उसकी छोटी बहन ललिता और चचेरी बहन भी राष्‍ट्रीय फुटबॉलर है। वह भी आशा के साथ खेतों में काम करती है। इसी तरह कुछ और प्रतिभावान खिलाड़ी हैं जो आर्थिक तंगी में मैदान छोड़, चौका-चूल्‍हे की जंग लड़ रहे हैं।

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TAGS: अंतर्राष्‍ट्रीय खिलाड़‍ी, फुटबॉल खिलाड़ी, झारखण्‍ड, हेमन्‍त सरकार, संगीता सोरेन, अंतर्राष्‍ट्रीय फुटबॉल मैच, International players, footballers, Jharkhand, Hemant Sarkar, Sangeeta Soren, international football matches
OUTLOOK 25 May, 2021
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