ओडिशा के भद्रक में सांप्रदायिक हिंसा के बाद इंटरनेट सेवाएं निलंबित, सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर झड़प के बाद नौ लोग हिरासत में
ओडिशा सरकार ने एक ‘‘आपत्तिजनक’’ सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर प्रदर्शन के दौरान लोगों के एक समूह द्वारा पुलिस पर पथराव किए जाने के बाद भद्रक जिले में इंटरनेट सेवाएं शनिवार को दो दिन के लिए निलंबित कर दीं।
गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, जिले में भारतीय टेलीग्राफ कानून, 1885 की धारा 5(2) के प्रावधानों के तहत देर रात दो बजे से 48 घंटे के लिए 30 सितंबर तक इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी।
सरकार के आदेश में यह भी कहा गया कि शांति एवं सौहार्द बहाल करने के लिए भड़काऊ संदेशों के प्रसार को रोकने के वास्ते व्हाट्सऐप, फेसबुक, एक्स जैसे सोशल मीडिया मंच और डेटा सेवाओं, मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं के अन्य माध्यमों के उपयोग पर पाबंदी रहेगी।
लोगों के एक समूह ने सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोप में एक युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। विशेष समुदाय के सदस्यों ने आरोपी युवक के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई में देरी का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को एक रैली निकाली थी।
पुलिस ने जब प्रशासन की अनुमति के बगैर निकाली जा रही रैली को रोका तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए और भद्रक तहसीलदार के वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर शुक्रवार दोपहर जिले के संथिया इलाके में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई और बाद में हिंसा जिले के धामनगर इलाके तक फैल गई।
जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया, ‘‘इलाके में किसी भी सभा, बैठक, प्रदर्शन की सख्त मनाही है और जिला प्रशासन इसके उल्लंघन को गंभीरता से लेगा।’’ जिला प्रशासन ने पुरुना बाजार और धामनगर पुलिस थाना क्षेत्र में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए शुक्रवार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की थी।
पुलिस ने बताया कि हिंसाग्रस्त पुरुना बाजार और धामनगर में पुलिस बल की कम से कम 14 प्लाटून तैनात की गई हैं। प्रत्येक प्लाटून में 30 कर्मी होते हैं।
पुलिस ने जिले में नौ लोगों को हिरासत में लिया, फ्लैग मार्च निकाला और शांति बहाल करने के लिए गश्त बढ़ा दी है।
इस बीच, भद्रक के पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक और जिलाधीश समेत वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और शांति समिति के सदस्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं।