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05 February 2022

जम्मू कश्मीरः परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को फारूक अब्दुल्ला ने किया खारिज; कहा- तर्कसंगत नहीं, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

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इस साल के अंत तक जम्मू कश्मीर में चुनाव की उम्मीद है। परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट 5 एसोसिएट सदस्यों को सौंप दी है। अब उनसे इस पर सुझाव और आपत्तियां आणंत्रित की गई हैं जिसके लिए 14 फरवरी तक का समय है। इसके बाद  आम जनता से सुझाव व आपत्तियां मांगी जाएंगी। इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को जम्मू कश्मीर पर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मसौदे की आलोचना करते हुए कहा कि यह किसी भी तर्क पर सही नहीं है। परिसीमन आयोग की कवायद का आधार ही गलत है। कोई राजनीतिक, और सामाजिक प्रशासनिक कारण सिफारिशों को सही नहीं ठहरा सकता है।

श्रीनगर संसदीय सीट से लोकसभा सांसद अब्दुल्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी अब इस रिपोर्ट पर विस्तृत प्रतिक्रिया तैयार करने में लगी है और पूरी प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए अन्य विकल्प तलाश रही है। आयोग के पांच सहयोगी सदस्यों में से एक, नेकां नेता ने कहा कि रिपोर्ट शुक्रवार रात को प्राप्त हुई थी और "मैं इसे विस्तार से पढ़ने की प्रक्रिया में हूं। लेकिन मैंने जो कुछ भी देखा है, नेशनल कॉन्फ्रेंस इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करती हैं। ।"

केंद्रीय मंत्री के अलावा तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला ने कहा, "इन सिफारिशों को सही ठहराने वाला कोई राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक तर्क नहीं है।" उन्होंने कहा कि उन्हें पहले बताया गया था कि विधानसभा सीटों को जिले से सटे बनाने के लिए परिसीमन की कवायद की जा रही है।लेकिन मसौदा रिपोर्ट पूरी तरह से एक अलग तस्वीर दिखा रहा है।

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अब्दुल्ला ने कहा, "जैसे दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग लोकसभा सीट में राजौरी और पुंछ से छह विधानसभा सीटें होंगी, जो जम्मू संभाग का हिस्सा हैं और पीरपंजाल रेंज में स्थित हैं," और पूछा, "यह बेहतर प्रशासन कैसे दे सकता है।?" इसी तरह, जिस तरह से विधानसभा क्षेत्रों को तराशा गया है, जिसमें कुछ "पूरी तरह से गायब हो गए हैं, किसी भी और सभी तर्कों को धता बताते हैं"।

अपनी रिपोर्ट में, परिसीमन आयोग ने विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में आमूल-चूल परिवर्तन का प्रस्ताव किया है जिसमें जम्मू क्षेत्र से राजौरी और पुंछ को जोड़कर अनंतनाग संसदीय सीट का पुनर्निर्धारण शामिल है, इसके अलावा कश्मीर संभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं।  तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य की कई विधानसभा सीटें गायब हो गई हैं, जिसमें हब्बा कदल भी शामिल है, एक ऐसी सीट जिसे प्रवासी कश्मीरी पंडितों के पारंपरिक गढ़ के रूप में देखा जाता था।

इसी तरह, बडगाम जिले, जिसमें पांच विधानसभा सीटें थीं, को फिर से देखा गया और बारामूला संसदीय क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को विभाजित किया गया और उत्तरी कश्मीर में कुंजर जैसी नई विधानसभा सीटों का निर्माण किया गया। पुलवामा, त्राल और शोपियां के कुछ इलाके, जो अनंतनाग लोकसभा सीट का हिस्सा थे, अब श्रीनगर संसदीय सीट का हिस्सा होंगे।

रिपोर्ट शुक्रवार को अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन (नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सांसद) और जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर (भाजपा सांसद) सहित पांच सहयोगी सदस्यों को भेजी गई थी। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 14 फरवरी तक अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।

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TAGS: J&K, Farooq Abdullah, Delimitation Commission, Supreme Courtm national Conference
OUTLOOK 05 February, 2022
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