जम्मू कश्मीरः गुलमर्ग-सोनमर्ग में 70 हेक्टेयर जमीन 'रणनीतिक क्षेत्र' घोषित, महबूबा बोलीं- सैन्य किले में तब्दील हो रहा है पर्यटन स्थल
जम्मू कश्मीर सरकार ने घाटी के गुलमर्ग और सोनमर्ग पर्यटन स्थल की करीब 70 हेक्टेयर भूमि को ‘‘रणनीतिक क्षेत्र’’ घोषित कर दिया है, जिससे सशस्त्र बलों के लिए इन जमीनी इलाकों पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सशस्त्र बल पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में भी बुनियादी ढांचे का विकास कर सकते हैं, जिन्हें सरकार द्वारा "रणनीतिक क्षेत्र" घोषित किया गया है।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भूमि के बड़े हिस्से का आवंटन केंद्र के "जम्मू-कश्मीर को एक सैन्य चौकी में बदलने" के इरादे की पुष्टि करता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, यह 'राज्य भूमि' के बहाने, हमारी जमीन हड़पने के लिए है और स्थानीय लोगों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है।"
जम्मू और कश्मीर के पर्यटन विभाग द्वारा 31 दिसंबर 2021 को जम्मू में जारी एक आदेश के अनुसार, बारामूला जिले के प्रसिद्ध स्की-रिजॉर्ट गुलमर्ग में 1,034 कनाल (लगभग 52 हेक्टेयर) भूमि और सोनमर्ग में 354 (लगभग 18 हेक्टेयर) कनाल गांदरबल जिले में एक अन्य लोकप्रिय क्षेत्र में सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए "रणनीतिक क्षेत्र" घोषित किया गया था।
आदेश में कहा गया है कि कोर कमांडर किसी भी पर्यावरणीय खतरे को रोकने के लिए पर्यावरण से संबंधित कानूनों का सख्ती से पालन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किसी अन्य कानून का उल्लंघन न हो।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अक्टूबर 2020 में एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम 1970 में संशोधन के बाद केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा जारी की गई यह पहली अधिसूचना थी।
जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक परिषद ने रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों को चलाने के लिए विशेष व्यवस्था प्रदान करने के लिए भवन संचालन अधिनियम 1988 और जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम, 1970 के संशोधन में संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी।
संशोधनों के अनुसार, सशस्त्र बल पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में भी बुनियादी ढांचे का विकास कर सकते हैं, जिन्हें सरकार द्वारा "रणनीतिक क्षेत्र" घोषित किया गया है।
सैन्य एक्सपर्ट के अनुसार सरकार भविष्य में किसी भी स्थिति के लिए सेना को प्रशिक्षण देने में उच्च प्राथमिकता दे रही है। ये जमीन मिलने से सेना को दिए जाने वाले प्रशिक्षण से उन्हें पाकिस्तानी और चीनी सेना का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। सोनमर्ग में पहले से ही जवानों को सियाचिन ग्लेशियर और ऐसे अन्य स्थानों पर तैनाती की तैयारी करा रही है। प्रसिद्ध हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग में ही है, जो स्नो-क्राफ्ट और विंटर वारफेयर में जवानों को प्रशिक्षित करता है।