अमेरिका तक पहुंचा जामताड़ा साइबर अपराधियों का खौफ, अनपढ़ लोगों के फ्रॉड पर करेगा रिसर्च
झारखंड के छोटे से पिछड़े जिले जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कारनामों की धमक अमेरिका तक जा पहुंची है। धमक इस मायने में कि अंगूठाछाप टाइप लोग भी साइबर फ्रॉड के कैसे मास्टर बन गये हैं। आधुनिक तकनीक वाला यह अपराध कैसे कर रहे हैं। हाल ही दिल्ली में पुलिस अधिकारियों की बैठक में साइबर फ्रॉड पर चिंता जाहिर की गई। उसी में जामताड़ा और अमेरिका की दिलचस्पी की जानकारी आई तो झारखंड के पुलिस महानिदेशक से जामताड़ा एसपी को संदेश भेजा कि जल्द ही अमेरिका से साइबर फ्रॉड के रिसर्चरों की टीम आयेगी, अपेक्षित सहयोग का निर्देश दिया।
अकाउंट अपडेट करने, एटीएम ब्लॉक होने जैसी सूचनाओं के हवाले से मीठे-मीठे बोल बोलकर या पॉश मशीन में चिप लगाकर एटीएम की क्लोनिंग या बातों में फंसा ओटीपी मांग किसी के खाते को खाली कर देता जामाताड़ा के साइबर अपराधियों के लिए चुटकी का खेल है। देश के विभिन्न राज्यों के लोग शिकार हो रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली में पकड़े गए जामताड़ा के ही एक साइबर अपराधी ने स्वीकार किया था कि अकेले उसने पचास लाख रुपये की ठगी की है। जामताड़ा के पत्रकार अजीत कहते हैं कि यहां का करमाटांड का ब्लॉक इसका गढ़ है, नारायणपुर के भी कुछ गांव के लोग इसमें जुटे हैं।
करमा टांड की हालत तो यह है कि कौन साइबर अपराध में शामिल नहीं है पहचान करना मुश्किल है। और हर पकड़े जाने वाले मामले में एक-दो युवक ऐसे निकल आते हैं जो अंगूठा छाप टाइप हैं। कोई खाली भी बैठा है तो उनके अभिभावक प्रोत्साहित करते हैं, फलां कमा रहा है, तुम क्या कर रहे हो। तालाब के किनारे, बांसों के झुरमुट में बैठ ठगी के लिए फोन करने लोगों का दृश्य यहां आम है। पुलिस भी सक्रिय है और लगातार ऐसे लोग पकड़े भी जाते हैं मगर घटनाएं कमने का नाम नहीं ले रहीं। इसी माह जामताड़ा पुलिस ने छह साइबर अपराधियों को पकड़ा तो पिछले दिसंबर माह में चार घटनाओं में 28 साइबर अपराधियों को पकड़ा। इससे यहां साइबर फ्रॉड की रफ्तार को समझा जा सकता है।