झारखंडः कोयला मंत्री बोले- खदानों में एक करोड़ तक का ठेका स्थाानीय को, हेमन्त सोरेन ने की ये मांग
रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के बीच कोयला खदानों के मसले पर लंबी बात हुई। हेमन्त सोरेन ने कोयला खदानों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नौकरी देने और प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय लोगों को ठेका देने की मांग की। वहीं कोयला मंत्री ने तत्काल एक करोड़ रुपये तक का ठेका स्थानीय लोगों को देने का आश्वासन दिया। मौके पर मुख्यमंत्री ने पुनर्वास, मुआवजा, कोल कंपनियों के बकाया भुगतान की बात भी जोरदार तरीके से रखी।
बैठक में विशेष रूप से राजमहल के तालझारी कोल परियोजना, हुर्रा कोल परियोजना, सियाल कोल परियोजना को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनों, समस्याओं और उसके निदान पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। यहां के खदानों की नीलामी को लेकर भी चर्चा हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोल माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण, रैयतों को मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और नौकरी एवं सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर अपना पक्ष रखा। इसी सप्ताह नीति आयोग के साथ बैठक में झारखंड ने कोल इंडिया की कंपनियों पर पर रायल्टी, जमीन मुआवजा आदि मद में आठ हजार करोड़ रुपये का बकाया का दावा करते हुए भुगतान कराने की मांग की थी। बताया था कि कोल कंपनियों द्वारा करीब 53064 एकड़ जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा कि कोल खनन को लेकर राज्य सरकार की जो भी मांग है, उस पर केंद्र सरकार विचार विमर्श कर आवश्यक कार्रवाई करेगी ।
स्थानीयों को नौकरी दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के द्वारा कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि इन सभी कोल माइंस में 75 परसेंट नौकरी स्थानीय लोगों को दिया जाए। इसके अलावा कोल माइंस के लिए जो टेंडर कांट्रेक्ट जारी किए जाते हैं, उसमें भी स्थानीय लोगों को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इससे जहां कोल माइंस को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनें खत्म होंगी, वहीं स्थानीय लोगों को भी व्यापक स्तर पर रोजगार का मौका मिलेगा। उन्होंने रैयतों को मुआवजा और सरकार को सरकारी जमीन के अधिग्रहण के बदले मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर भी केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा ।
इस मौके पर कोयला मंत्रालय और ईसीएल के अधिकारियों ने राजमहल तालझारी कोल परियोजना के चालू करने में आ रही अड़चनों से राज्य सरकार को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अगर इसे चालू नहीं किया गया तो ईसीएल को बंद करने की तक की नौबत आ सकती है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ना सिर्फ इस कोल परियोजना बल्कि झारखंड में स्थित सभी कोल परियोजनाओं में नौकरी और एक तय की गई राशि का टेंडर कांट्रैक्ट हर हाल में स्थानीय को मिले। इस मुद्दे पर कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राजमहल तालझारी कोल परियोजना में अगले 2 साल तक के लिए एक करोड़ रुपए तक का टेंडर स्थानीय को दिया जाएगा। आने वाले दिनों में इसे सभी कोल कंपनियों में लागू किए जाने का आश्वासन दिया।
बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न कोल परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल नहीं रखे जाने तथा विस्थापितों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने का भी मुद्दा रखा। यह भी कहा कि सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के द्वारा कोयला खनन के लिए जितना जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उसका इस्तेमाल नहीं होता है। जमीन यूं ही पड़ी रहती है। इस अनुपयोगी जमीन के हस्तांतरण के मुद्दे को भी उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष रखा ।
बैठक में राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने कहा कि कोल कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों का जहां पुनर्वास किया जाता है, उस जमीन का सेटलमेंट कागज उन्हें नहीं दिया जाता है। इस कारण उन्हें स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने में तकनीकी अड़चनों का सामना करना पड़ता है। कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक पहल की जाएगी।