झारखंडः एक मंच पर दिखे राज्यपाल और सीएम, बोले हेमंत सोरेन- राज्य हित में पक्ष और विपक्ष को मिल कर काम करने की जरूरत
रांची। राज्यपाल और मुख्यमंत्री की मध्य टकराव की खबरों के बीच मंगलवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक मंच पर दिखे। मौका था विधानसभा की 22वीं वर्षगांठ का। दोनों ने अपने अपने अंदाज में कार्यक्रम को संबोधित किया।
समारोह में उत्कृष्ट विधायक माले के विनोद सिंह, उत्कृष्ट विधानसभा कर्मी, शहीद सैनिकों और पुलिसकर्मियों के साथ शौर्य चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारियों, खिलाड़ियों और मैट्रिक- इंटर में सर्वोच्च स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
तीन दिवसीय समारोह का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की मर्यादा और विश्वास को अक्षुण्ण रखना सभी जनप्रतिनिधियों का दायित्व है। आप सभी जनप्रतिनिधि विधानसभा की प्रतिष्ठा और मर्यादा को और उच्च करने में योगदान दें। जनता के भरोसे पर खरा उतरने के दायित्व के प्रति जनप्रतिनिधियों को हमेशा संवेदनशील रहना चाहिए।झारखंड विधानसभा का नाम देश की आदर्श विधानसभाओं में हो, इसके लिए प्रत्येक सदस्य को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। सभी सदस्य दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करें।
मौके पर विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में झारखंड विधानसभा ने जिन संसदीय परंपराओं का निर्वहन किया है, उसे राष्ट्रीय पटल पर भी पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जिस झारखंड के नवनिर्माण का सपना देखा था, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, यह संकल्प लें।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि विधानसभा राज्य की सर्वोच्च पंचायत है। यहां सभी सदस्यों की एक समान मान्यता है। जितनी सत्ता पक्ष की भूमिका अहम है, उतनी ही विपक्ष की। दोनों के सहयोग से ही राज्य को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने कहा कि अलग राज्य और अलग विधानसभा गठन के बाद पिछले 22 सालों में राज्य और राज्य की जनता के लिए हमने क्या किया और आगे क्या किया जाना चाहिए, इस पर मंथन करने की जरूरत है। सभी को मिलजुल कर कार्य करने की जरूरत है, ताकि राज्य को और बेहतर और मजबूत बना सके ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड वीरों- शहीदों की धरती है। यहां के अनेकों वीर देश की आजादी के साथ अन्याय, शोषण और जुल्म के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपनी कुर्बानी दी। आजादी के बाद भी अपने हक- अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी। यह लड़ाई आज भी जारी है। इसके साथ झारखंड अलग राज्य का आंदोलन भी लंबे समय तक चला। कई आंदोलनकारी शहीद हुए। अंततः झारखंड अलग राज्य बना। झारखंड की अपनी विधायिका और कार्यपालिका वजूद में आई और आज दोनों मिलकर राज्य को नई दिशा देने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम वीर -शहीदों के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प ले।
उन्होंने कहा कि आज भी यहां के आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ा और कमजोर वर्ग अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी जिम्मेवारी बनती है कि इनके प्रति पूरी संवेदना के साथ कार्य करते हुए उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें। इन सभी के कल्याण से ही राज्य का सम्यक विकास और खुशहाली संभव है ।
राज्य की लगभग 80 आबादी ग्रामीण परिवेश से आती है। इन वर्गों का सशक्तिकरण करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। इस सिलसिले में कई जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम सरकार कर रही है। वंचित और कमजोर वर्गों को इन योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इसमें कार्यपालिका के साथ विधायिका को भी पूरी सक्रियता के साथ अपनी भागीदारी निभानी होगी।
संसदीय कार्य मंत्री श्री आलमगीर आलम और उत्कृष्ट विधायक के सम्मान से नवाजे गए भाकपा माले विधायक श्री विनोद कुमार सिंह ने भी समारोह को संबोधित किया।
इन्हें किया गया सम्मानित
● बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक के रूप में भाकपा माले के विधायक श्री विनोद कुमार सिंह सम्मानित गए।
समारोह में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो द्वारा लिखित पुस्तक "संसदीय दायित्व के 3 वर्ष", विधानसभा की त्रिमासिक पत्रिका "उड़ान" के अलावा "राज्यपाल का अभिभाषण" और "वित्त मंत्री का बजट भाषण" पुस्तक का मंच पर मौजूद अतिथिगणों ने विमोचन किया। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने 27 लाख 900 रुपए की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दी।