Advertisement
17 August 2022

झारखंड: नेतरहाट फील्‍ड फायरिंग रेंज को विस्‍तार देने से हेमंत का इनकार, तीन दशक के आदिवासी संघर्ष की जीत

लातेहार और गुमला जिला की सीमा पर सेना के फायरिंग अभ्‍यास के लिए बने नेतरहाट फील्‍ड फायरिंग रेंज पर अब विराम लग गया है। करीब छह दशक से यहां चल रहा था। यह वहां के आदिवासियों और स्‍थानीय लोगों के तीन दशक के संघर्ष का नतीजा है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार के प्रस्‍ताव को अस्‍वीकार कर दिया है। प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिंदु पर अनुमोदन दे दिया है।

1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में अवधि विस्तार किया गया था। कुछ माह पूर्व दोनों जिलों के ग्राम लोगों ने रांची पैदल मार्च किया था। मुख्‍यमंत्री और राज्‍यपाल से मिलकर ज्ञापन भी सौंपा था। उनके आंदोलन को देखते हुए किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत भी इसी साल मार्च महीने में वहां के आंदोलन में शामिल होने नेतरहाट गये थे। उस विरोध प्रदर्शन में हजारों आदिवासी मूलवासी शामिल हुए थे। वैसे फायरिंग रेंज से इलाके के करीब ढाई लाख लोग प्रत्‍यक्ष-अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रभावित थे।

मुख्यमंत्री ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है। दरअसल मैनुवर्स फील्‍ड फायरिंग एंड आर्टिलरी प्रैक्टिस एक्‍ट 1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट सात गांवों को तोप से गोला दागने, फायरिंग अभ्‍यास के लिए छह दशक पहले अधिसूचित किया था। बाद में इसका इलाका विस्‍तार कर दिया गया। इसके जद में 1471 किलोमीटर के दायरे के 245 गांव आ गये। ग्रामीणों फायरिंग को लेकर आतंकित रहते थे। खेत खलिहान से लेकर पशु चराने तक का काम प्रभावित होता था। उनमें डर था कि फायरिंग रेंज के नाम पर सरकार स्‍थायी रूप से उनकी जमीन हथिया न ले। यहां चलने वाले आंदोलन की अगुवाई करने वाले जेराम जेराल्‍ड कुजूर ने कहा था कि सेना के अभ्‍यास के दौरान 30 से अधिक ग्रामीणों को जान गंवानी पड़ी है। अनेक पालतू और वन्‍य जीव मारे गये। फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।

Advertisement

राजस्व ग्रामों ने सौंपा था ज्ञापन

सरकारी प्रवक्‍ता के अनुसार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व ग्रामों द्वारा आम सभा के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड सरकार को भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा बताया गया था कि लातेहार व गुमला जिला पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत आता है। यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत् ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसी के तहत् नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्राम सभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अन्दर की जमीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था। साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत् अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था।

ग्रामीण 30 वर्ष से कर रहें थे विरोध

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा पिछले लगभग 30 वर्षो से लगातार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को रद्द करने हेतु विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। वर्तमान में भी प्रत्येक वर्ष की भांति नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में 22-23 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया गया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Jharkhand, Hemant Soren, refuses, expand Netarhat field firing range, victory, three decades of tribal struggle
OUTLOOK 17 August, 2022
Advertisement