झारखंड: हेमन्त की मुश्किलें बढ़ीं, शेल कंपनियों में निवेश मामले की होगी सुनवाई
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाई कोर्ट ने इनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश से जुड़े जनहित याचिका पर सुनवाई का फैसला किया है। अदालत ने दोनों जनहित याचिका को वैध ठहरा दिया है। अब मेरिट पर दस जून को सुनवाई होगी। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की पीठ ने इससे जुड़े मामले की वैधता की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की दलील याचिका को खारिज कर दिया है और जनहित याचिका को सुनवाई के योग्य करार दिया है। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इसस मामले की मेंटेनेबिलिटी को लेकर याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मेटेनेबिलिटी तय करने का अधिकार हाई कोर्ट को दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चीफ जस्टिस की पीठ ने बुधवार को इससे संबंधित मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार, प्रार्थी, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और ईडी की ओर से करीब चार घंटे बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। राज्य सरकार ने याचिका की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे खारिज करने की मांग की थी। जबकि ईडी की दलील थी कि पहली जनर में शेल कंपनियों के जरिये मनी लांड्रिंग किये जाने का अपराध हुआ है। सूबे में अवैधनन खनन संपत्ति अर्जित करने वालों की जांच में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
जनहित याचिका दायर करने वाले शिवशंकर शर्मा के वकील राजीव कुमार ने बताया कि अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य करार दिया है अब दस जून को दोनों याचिका की मेरिट पर सुनवाई होगी। सरकार की तरफ से और समय की मांग की जा रही थी हमारा पक्ष था कि ज्यादा समय देने से साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है। अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि हेमन्त सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबी लोगों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश और खनन से जुड़े मामले की सुनवाई आगे होगी। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा हेमन्त सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पक्ष रख रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने याचिका कर्ता के क्रेडेंशियल पर सवाल उठाया था, कहा था कि याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा के पिता, हेमन्त सोरेन के पिता शिबू सोरेन के एक मामले में गवाह थे इसलिए उन्होंने साजिश के तहत मामला उठाया है।