झारखंडः झामुमो ने कहा- सीएम हेमन्त सोरेन पर 9 ए का मामला नहीं बनता; चुनाव आयोग के इरादे पर शक, आगे यह होगा कदम
रांची। मौसम की तरह झारखंड का राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। यह पखवारा राजनीति उथलपुथल वाला रहेगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर भाजपा के हमले के बाद सत्ताधारी झामुमो बचाव की मुद्रा में है। भाजपा की घेराबंदी के बीच झामुमो ने साफ किया है कि अपने नाम पर हेमन्त सोरेन द्वारा माइनिंग लीज लेना लाभ के पद का मामला नहीं बनता, जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत 9 ए का मामला नहीं बनता। झामुमो को चुनाव आयोग के इरादे पर शक है कि वह खेला कर सकता है। पार्टी ने कहा है कि न्याय नहीं मिला तो अदालत की शरण में जायेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर सत्ता का दुरुपयोग करते हुए रांची में पत्थर खान का लीज लेने का आरोप लगाते हुए जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9ए के तहत कार्रवाई करते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग कर रखी है। राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा तो राज्यपाल ने चुनाव आयोग को मामला भेज दिया। आयोग ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब किया। सरकार की रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को जा चुकी है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल निर्णय करेंगे। इसी गहमागहमी के बीच राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली गये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर झारखंड में कानून व्यवस्था और मौजूदा राजनीतिक हालात पर विमर्श किया।
भाजपा के लगातार आक्रमण और सियासत का मूड भांपते हुए झामुमो अपने सहयोगी दलों कांग्रेस और राजद के वरिष्ठ नेताओं के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल को सफाई दी कि माइनिंग लीज लेना लाभ के पद का मामला नहीं बनता। कोई भी निर्णय के पहले हेमन्त सोरेन का पक्ष सुने जाने का भी आग्रह किया। बाद में पार्टी ने प्रेसकांफ्रेंस कर सफाई भी दी। शुक्रवार को पुन: झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और हेमन्त के करीबी झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि भाजपा हेमन्त सोरेन के माइनिंग लीज पर नाहक भ्रामक प्रचार कर रही है। भाजपा के नेताओं ने साजिश के तहत विगत दिनों मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा लिये गये लीज के सवाल को पीआरएक्ट 1951 की धारा 9 ए के दंडनीय अपराध के रूप में निरूपित किया है। 1964 से 2006 तक इस तरह के मामले अदालतों में जाते रहे। समीक्षा के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है सेक्शन 9ए का मामला किसी कांट्रैक्ट को टच नहीं करता। लीज को टच नहीं करता। सरकार से कोई कांट्रेक्ट लेने, सरकार को गुड्स सप्लाई, सड़कें बनाने, बांध बनाने या सिंचाई परियोजना का या किसी भवन को बनाने के मामले को ही इस कंट्रैक्ट की श्रेणी में माना गया है। 1964 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खनन पट्टा कोई व्यवसाय नहीं है और न ही माल की आपूर्ति का कांट्रेक्ट है।
सेक्शन 9ए में कहा गया है कि एक व्यक्ति को तब अयोग्य घोषित किया जायेगा जब उन्होंने किसी के साथ कांट्रेक्ट साइन किया हो या सप्लाई ऑफ गुड्स के लिए सरकार के साथ व्यापार किया हो। खनन पट्टा सप्लाई ऑफ गुड्स का व्यवसाय नहीं है या यह सरकार द्वारा किये गये कार्य के निष्पादन के अंतर्गत नहीं आता। 2001 में सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने करतार सिंह बघाना बनाम हरि सिंह नलवा बनाम अन्य के मामले में कहा कि खनन लीज सरकार द्वारा किये गये कार्य के निष्पादन के अंतर्गत नहीं आता। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों से स्पष्ट है कि माइनिंग लीज का मामला 9ए के तहत नहीं आता।
झामुमो विधायक सोनू ने कहा कि जब मसलों को छुपाया जाता है तब उसमें अपराध की संभावना बनता है। चुनाव प्रतिशपथ पत्र में जब यह जिक्र है कि हेमन्त सोरेन के पास लीज मौजूद है जो नवीकरण के लिए लंबित है। पूरे मामले में भाजपा इस तरह प्रोजेक्ट कर रही है कि यह इतना बड़ा दंडनीय अपराध है कि इससे झारखंड की सरकार गिरने जा रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में कैलाश गहलोत बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में कहा था कि आयोग किसी सदस्य को आयोग्य घोषित करने के पहले सुना जाना चाहिए। किसी का पक्ष सुने बिना नैसर्गिक न्याय का अनुपालन नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग को इसे सुनना होगा। मैं आश्वस्त हूं कि हेमन्त सोरेन को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जायेगा। 80 डिसमिल का यह माइन्स है जिसका निष्पादन डीसी (जिला उपायुक्त) के स्तर से होता है। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि खनन मंत्री रहते हुए हेमन्त सोरेन ने खुद साइन किया है। इस खदान से एक छटाक का भी उत्पादन नहीं हुआ है, बिजली कनेक्शन नहीं लिया गया है, जीएसटी नंबर नहीं लिया गया है। कंसेंट टू ऑपरेट भी नहीं लिया गया है। हालिया घटनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री पद की मर्यादा को देखते हुए उन्होंने इसे सरेंडर कर दिया। अदालत हमारे कानून की व्याख्या करने के लिए मौजूद हैं यदि सरकारों को संवैधानिक संस्थाओं को कानून को समझने में कोई परेशानी आती है तो वैसी स्थिति में व्याख्या के लिए न्यायालय मौजूद है।
हेमन्त प्रकरण में चुनाव आयोग के फैसले से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जो चुनाव आयोग का क्रिया कलाप देखा है हो सकता है केंद्रीय राजनीति के दबाव में एकपक्षीय फैसला करने को बाध्य हो। ऐसा हुआ तो हम सक्षम न्यायालय में कानून की व्याख्या में जायेंगे। जो भी पक्षकार हैं उनका पक्ष सुना जाना चाहिए। राज्यपाल के इंटेशन पर उन्होंने कहा कि इंटेशन जब तक एक्ट में परिणत नहीं होता इंटेशन पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं। हमें यह जरूर महसूस हो रहा है कि भाजपा के तमाम नेता जिस तरह का माहौल बना रहे कि यह सरकार कल चली जा रही है। हमारे गठबंधन का सदन में स्पष्ट बहुमत है। हाउस के फ्लोर पर तय होगा कि सरकार किसकी रहेगी और कौन सरकार में बैठेगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी की कंपनी के नाम जमीन, अपने विधायक प्रतिनिधि और प्रेस सलाहकार के माइनिंग लीज पर सुदिव्य ने कहा कि सार्वजनिक जीवन सुचिता के साथ यह अनुमति देता है कि वाजिब तरीके से कोई भी किसी तरह का व्यवसाय करने को स्वतंत्र है। नितिन गडकरी की बड़ी कंपनी है, सुदेश महतो सुदर्शन गुप में शेयर होल्डर हैं कंपनी में निदेशक हैं, भाजपा विधायक मनीष जायसवाल व्यापार करते हैं।
रघुवर दास इस मामले को लेकर हाय तौबा मचाये हुए हैं उनके कार्यकाल में क्या घटना घटी मैनहर्ट को या कंबल का या टॉफी टीशर्ट का पब्लिक डोमेन में है, जांच एजेंसियां अपना मंतव्य देंगी। मोमेंटम झारखंड सहित और भी घोटालों और लोगों का पर्दा फाशा होगा कि किसने क्या किया। मोमेंटम झारखंड के संबंध में आरटीआई से निकाली चीजें बता रही हैं कि किसके नाम जमीन आवंटन एक रुपये में कब हुआ और कंपनी का डेट ऑफ इनकारपोरेशन कब का था और उसमें कौन कौन कंपनियां हैं और उनमें कौन-कौन डायरेक्टर हैं। जल्द विस्तार से इसका खुलासा करूंगा।