झारखंड: रुक नहीं रहे हैं मॉब लिंचिंग के मामले, 30 दिन में रांची में ही 2 हत्याएं
रांची। टायर चोरी या चोरी के शक की कीमत मौत नहीं हो सकती। मगर झारखण्ड में इस तरह के मामले सिर उठाने लगे हैं। भीड़ कानून अपने हाथ में लेकर त्वरित न्याय करने लगी है। यह एक प्रकार से संकेत भी है कि लोगों का सरकारी व्यवस्था से भरोसा उठ रहा है। किसी भी सरकार के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए। भाजपा की रघुवर सरकार के समय में गो मांस और बच्चा चोर के अफवाह को लेकर भीड़ तंत्र द्वारा लोगों की हत्या और पिटाई की घटनाएं लगातार आ रही थीं। अब फिर इसी तरह के मामले सामने आने लगे हैं। कारण अलग-अलग बन जाते हैं।
झारखण्ड की राजधानी रांची में ही एक माह के भीतर दो लोगों की भीड़ ने पीटकर हत्या कर दी। आठ मार्च को शहर के बीचोंबीच कोतवाली थाना के भरी आबादी वाले अपर बाजार में एक युवक सचिन वर्मा को ट्रक चोरी के आरोप में चालीस लोगों ने बांधकर जमकर पिटाई की। जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों में थाने में पुलिस पर भी पिटाई का आरोप लगाया। अस्पताल के रास्ते उसकी मौत हो गई। इस सिलसिले में दारोगा सहित तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया। मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अनगड़ा थाना के महेशपुर में मोटरसाइकिल की टायर चोरी के आरोप में ग्रामीणों की पिटाई से मुबारक की मौत हो गई। परिवार के लोगों ने इसे साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया। शुक्रवार को गुमला जिला के घाघरा थाना के घूगरू पाठ गांव के रामचंद्र यादव को भीड़ ने पीटकर मार डाला। एक दिन पहले इसी गांव के मजदूर नेता खादी उरांव की बीमारला बाक्साइट माइंस के पास हत्या कर दी गई थी। खादी उरांवी की हत्या के शक में ही ग्रामीणों ने रामचंद्र यादव की हत्या कर दी। चिंताजनक बात यह कि घाघरा थाना की पुलिस दोनों मामलों में जांच के लिए नहीं पहुंची। चौकीदार की मदद से लाश को मंगवाया। नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण पुलिस हिम्मत नहीं जुटा सकी।
इसी सप्ताह 16 मार्च को रांची में भरी आबादी वाले कोतवाली थाना के अधीन बड़ा तालाब के पास दिनदहाड़े लोगों ने अरमान दौड़ाकर लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा, उसके कपड़े फाड़ डाले। एक मोबाइल छिनतई के मामले में लोगों ने पीटा। शुक्र था कि कम समय में ही थाना की पुलिस पहुंच गई और उसकी जान बच गई। उसी दिन सरायकेला खरसावां जिला के आशियाना चौक के पास चोरी के आरोप में सोनू को खंबे से बांधकर जमकर पीटा गया। अधमरे हालत में पुलिस ने उसे उन्मादी भीड़ से बचाया। जाहिर है जहां पुलिस जाने की हिम्मत नहीं करेगी वहां जनता खुद अपने गुस्से का इजहार करेगी। या पुलिस कार्रवाई और न्याय में विलंब की बनती धारणा के कारण भीड़़ खुद कानून को हाथ में ले दंड दे रही है।
हेमन्त सरकार ने कुर्सी संभाला ही था कि चाईबासा जिले में पत्थलगड़ी का विरोध करने वाले सात ग्रामीणों का अपहरण कर उनकी सामूहिक हत्या कर दी गई।
रघुवर सरकार के समय गो मांस कारोबार और बच्चा चोर के नाम पर अनेक लोग भीड़ तंत्र के शिकार हुए। 2019 में चोरी के आरोप में सरायकेला के में भीड़ द्वारा पीटकर तबरेज अंसारी को मार डालने का मामला काफी तूल पकड़ा था। इसकी आवाज अमेरिका तक पहुंची। अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धर्मिक स्वतंत्रता आयोग के अध्यक्ष टोनी पार्किंस ने तबरेज हिंसा की कड़ी निंदा की थी। और भारत सरकार से इसकी व्यापक जांच का आग्रह किया था। तब के वायरल वीडियो के अनुसार तबरेज को जय श्रीराम और जय हनुमान का नारा लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। 2019 में ही रामगढ़ के भुरकुंडा में बच्चा चोर के आरोप में एक युवक को पीटकर मार डाला था। दो साल और पहले रामगढ़ में ही अलीमुद्दीन की भीड़ ने गो मांस को लेकर पीटकर मार डाला था। कई लोगों को सजा हुई। आरोपी जमानत पर निकले तो एक पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा उनके स्वागत पर विवाद हुआ था। रघुवर सरकार के दौर में बाहर से आये बाराती, केंद्रीय एजेंसियों में काम करने वाले लोग भी बच्चा चोर के शक में पीटे, मारे गये थे। झारखण्ड में मॉब लिंचिंग का दूसरा रूप भी है। डायन बिसाही के अंधविश्वास में ग्रामीणों की सहमति से हत्या के मामले आते रहते हैं। अनेक मामले ऐसे भी आये तब पंचायत की हामी रही। इसी फरवरी में ही गुमला में पांच लोगों की डायन बिसाही के नाम पर हत्या को लेकर हाई कोर्ट ने भी गंभीर टिप्पणी की कि सरकार गंभीर होती तो गुमला की घटना नहीं घटती। हत्या के पहले इस घटना में भी पंचायत बैठी थी।
जब मॉब लिंचिंग की प्रवृत्ति पुन: सिर उठा रही है सरकार को चौकस होना होगा और पुलिस को छोटी सी सूचना पर तत्काल सक्रिय होना होगा। हेमन्त सरकार जिलों में उपायुक्तों की अध्यक्षता में इसकी रोकथाम के लिए कमेटी गठित करने जा रही है।