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27 November 2020

झारखंड: एसपी की मोबाइल ओपीडी, जहां जरूरत समझा शुरू कर देते हैं इलाज

पुलिस का नाम सुनते ही खाकी, लाठी बंदूक जेहन में कौंधने लगता है। ऐसे में कोई पुलिस अधिकारी किसी की नब्‍ज टटोलता नजर आये तो आपको हैरानी हो सकती है। कोडरमा में कुछ ऐसा ही हो रहा है। नब्‍ज टटोलने वाला कोई और नहीं वहां के एसपी हैं। सिर्फ नब्‍ज ही नहीं टटोलते बाकायदा प्र‍िस्क्रिप्‍शन भी लिखते हैं। पर्चे में दवाएं भी लिखते हैं।

एसपी साहब का पूरा नाम है डॉ एहतेशाम वकारीब। बस जहां जरूरत देखते हैं उनके भीतर का डॉक्‍टर दौड़ने लगता है। डॉ एहतेशाम ने आउटलुक से कहा कि उन्‍होंने जेएनयू से पढ़ाई की है और एमबीबीएस के साथ एमडी की डिग्री भी हासिल की है।

गुरुवार को कोडरमा के सतगावां में के नक्‍सल प्रभावित बासोडीह पंचायत के अनुसूचित जाति टोला अपने काफिले के साथ पहुंचे। सामुदायिक पुलिस के तहत शिविर का आयोजन किया गया था। विमर्श के बाद एसपी साहब ने आला निकाला और शुरू हो गये। कोई डेढ़ दर्जन लोगों का इलाज किया, पर्चे लिखे, दवाएं भी दीं। ठंड से बचाव के लिए कंबल, कोविड से बचाव के लिए साबुन, मास्‍क व दवाओं का भी वितरण किया।

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2015 बैच के आइपीएस अधिकारी डॉ एहतेशाम मूलत: कोडरमा के बगल के गिरिडीह जिला के रहने वाले हैं। इसके पहले वे जमशेदपुर में रेल एसपी थे। करीब छह माह पूर्व कोरोना काल में कोडरमा में पोस्टिंग हुई। पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाने के साथ-साथ इलाकों में भ्रमण के दौरान जब कभी महसूस करते हैं तो डॉक्‍टर वाली भूमिका में भी आ जाते हैं।

बीते सितंबर महीने की ही बात है। पुलिस लाइन में वे एसपी नहीं डॉक्‍टर की भूमिका में थे। पुलिस लाइन में पदस्‍थापित कोई एक सौ जवानों व उनके परिजनों के स्‍वास्‍थ्‍य की खुद जांच की, परामर्श दिया। मूलत: बीपी और शुगर की जांच की। ऐसा मौका आता रहता है। पुलिस सेवा में आने के पूर्व वे विभिन्‍न अस्‍पतालों में काम कर चुके हैं। नतीजा है कि पुलिस की सेवा में आने के बावजूद उनकी मानवीय पक्ष हावी हो जाता है।

 

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TAGS: झारखंड, एसपी, डॉ एहतेशाम वकारीब, मोबाइल ओपीडी, Mobile OPD, Jharkhand SP
OUTLOOK 27 November, 2020
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