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14 October 2021

अब लखीमपुर खीरी हिंसा के खिलाफ माओवादियों का बंद, किसान आंदोलन का पहले भी कर चुके हैं समर्थन

प्रतिकात्मक तस्वीर

सत्‍ता के खिलाफ संघर्ष, चुनावी राजनीति से दूर रहने और चुनाव बहिष्‍कार का नारा देने वाले माओवादियों ने लखीमपुर खीरी हिंसा के खिलाफ 17 अक्‍टूबर को बंद का कॉल दिया है। इसके पहले 26 मार्च और 27 सितंबर को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्‍त किसान मोर्चा के भारत बंद के दौरान माओवादी आंदोलन को समर्थन देते हुए अपने प्रभाव वाले इलाकों में सड़क पर उतरे थे। ऐसे में माओवादियों की राजनीतिक प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं।

दरअसल बंद को विपक्ष का भी पूरा समर्थन रहा। तब बिहार-झारखंड स्‍पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्‍ता आजाद ने पत्र जारी र कृषि कानूनों की निंदा करते हुए बंद को सफल बनाने की अपील की थी। अब लखीमपुर खीरी हिंसा के खिलाफ भाकपा माओवादी ने 17 अक्‍टूबर को झारखंड, बिहार, उत्‍तर प्रदेश और उत्‍तरी छत्‍तीसगढ़ बंद का कॉल दिया है।

भाकपा माओवादी के बिहार रीलनल कमेटी के प्रवक्‍ता मानस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका एलान किया है। माओवादियों ने बंद के दौरान आवश्‍यक सेवाओं को बंद से मुक्‍त रखा है। बयान में कहा है कि विवादास्‍पद कृषि  कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन पर मोदी-योगी के डबल इंजन की सरकार द्वारा विभिन्‍न षडयंत्रों के तहत जारी दमनात्‍मक मुहिम का एक और ताजा बर्बर मिसाल लखीमपुर खीरी में सामने आया। शांतिपूर्ण ढंग से धरन पर बैठे आंदोलनकारी किसानों की भीड़ पर तेज रफ्तार कार चढ़ाकर कुचल दिया गया जिसमें चार आंदोलनकारियों की मौत हो गई और कई घायल हो गये। यह क्रूर मानसिकता का परिचायक है।

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स्‍वाभाविक है ऐसी घटना के बाद कोई भी भीड़ संयत और शांत नहीं रह सकती। प्रतिक्रिया स्‍वरूप वाहन चालक और सवार आक्रोश के शिकार हुए।

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TAGS: Jharkhand, Maoists bandh, Lakhimpur Kheri violence, farmers' movement
OUTLOOK 14 October, 2021
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