कौन देगा लालू प्रसाद के इस 'जेल बंगला' का किराया
किंग मेकर की भूमिका में रहने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जेल के भीतर रहें या बाहर लगातार चर्चा में रहते हैं। सजायाफ्ता होने के कारण खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं लेकिन सरकार बनाने और बिगाड़ने की गणित उनके बिना पूरी नहीं होती।
ताजा विवाद केली बंगला के किराया को लेकर है। यह रिम्स ( राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान), रांची के निदेशक का तीन एकड़ में फैला बंगला है जो केली बंगला के नाम से जाना जाता है। पशुपालन घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद इसी बंगले में रह रहे हैं। निदेशक आवास में रहते हुए बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का आवेदन-बायोडाटा जुटाने का विवाद ठंडा नहीं हुआ था कि किराया का विवाद उठ खड़ा हुआ है।
कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए लालू प्रसाद को एक माह पूर्व चार अगस्त को रिम्स के पेईंग वार्ड के 14 फीट लंबे और 14 फीट चौड़े कमरे से निकालकर रिम्स परिसर में ही निदेशक के तीन एकड़ के विशाल बंगले में शिफ्ट किया गया। पूर्णकालिक निदेशक नहीं रहने के कारण रिम्स निदेशक का बंगला पिछले कुछ माह से खाली पड़ा था। पेईंग वार्ड में एक हजार रुपये दैनिक के हिसाब से शुल्क लगता था।
रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के कैदी लालू प्रसाद यहां दो साल रहे और उसका किराया अदा किया। रिम्स के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब निदेशक के बंगले में किसी मरीज या मरीज-कैदी को रखा गया हो। स्वाभाविक है उस रूप में इसका कोई किराया निर्धारित नहीं है। एक माह गुजर गये मगर लालू प्रसाद को अभी तक इस बंगले का किराया नहीं देना पड़ा है। चार सेवादार रिम्स ने अलग से दे दिये क्योंकि पूर्व के उनके सेवक कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के कारण हटा दिए गए थे।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में रखे जाने पर आपत्ति करते हुए कहा कि उनसे बाजार दर पर निदेशक बंगले का किराया वसूल किया जाना चाहिए। इसके लिए जिला प्रशासन दर तय करे। अन्यथ सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे।
लालू प्रसाद होटरवार से सुपर स्पेशियलिटी विभाग में रखे गये थे। खुद पेईंग वार्ड में आये और शुल्क अदा करना स्वीकार्य किया। सिन्हा ने कहा कि राजद सुप्रीमो पहले से ही विवादों में रहे हैं और लगातार जेल मैनुअल का उल्लंघन करते रहे हैं। लालू प्रसाद को वापस जेल में भेज देना चाहिए। रिम्स और बिरसा मुंडा जेल की दूरी सिर्फ पांच किलोमीटर है। उन्हें सेहत को लेकर गंभीर परेशानी नहीं है। होती भी है कि तुरंत रिम्स के डॉक्टर उपलब्ध हो जायेंगे।
लालू से केली बंगला के शुल्क की वसूली के मसले पर स्वास्थ्य मंत्री ( खुद होम कोरंटाइन में हैं), स्वास्थ्य सचिव, प्रभारी निदेशक रिम्स, रिम्स के अधीक्षक कोई बोलना नहीं चाहते। रिम्स के पीआरओ सह चिकित्सक डॉ निशित एक्का कहते हैं कि ऐसा अवसर भी आयेगा, ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था, इसलिए निदेशक के बंगले का कोई दर निर्धारित नहीं है। लालू प्रसाद को देखने वाले डॉक्टर उमेश प्रसाद ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन्हें पेईंग वार्ड से शिफ्ट करने की अनुशंसा की थी। निदेशक बंगला को पूरी तरह सुरक्षित बताया था। रिम्स का पेईंग वार्ड एक सौ बेड का है। लालू प्रसाद ग्राउंड फ्लोर पर थे। ऊपर की दो मंजिल को कोरोना वार्ड घोषित कर दिया गया था। एक्का कहते हैं कि इसी कारण लालू प्रसाद जिस फ्लोर पर थे उसके कोई 18 कमरों में दूसरे मरीज को नहीं रखा जाता था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उन्हें वहां से शिफ्ट करने का निर्णय किया गया था।
हेमंत सरकार की सहयोगी कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि लालू प्रसाद इलाजरत हैं, रिम्स प्रबंधन उनकी सेहत को लेकर जहां बेहतर समझे रख सकता है। रिम्स प्रबंधन ने अपनी सहूलियत को ले उन्हें रखा है। पहलीबार ऐसी स्थिति पैदा हुई कि उन्हें खाली पड़े निदेशक के बंगला में रखना पड़ा है। रिम्स प्रबंधन जो दर तय करेगा वह लालू प्रसाद अदा करेंगे।
वहीं झमुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय कहते हैं कि जेल मैनुअल को ध्यान में रखते हुए रिम्स प्रबंधन मिलकर लालू प्रसाद को रखने का शुल्क तय करेगा। इसमें कहीं विवाद नहीं है।
लगातार विवादों में रहे लालू
लालू प्रसाद जेल यात्रा के दौरान लगातार विवादों में रहे हैं। संयुक्त बिहार में राजद शासन के दौरान 1998 में भी जब जेल गये थे तो बिहार सैन्य पुलिस के गेस्ट हाउस को ही अधिसूचित कराकर वहीं रह गये थे। रांची में 2017 में वे जेल गये मगर पिछले दो साल से लगातार इलाज के नाम पर रिम्स के पेईंग वार्ड में रहे। वहां भी जिस फ्लोर पर थे उसके 18-19 कमरों पर इन्हीं के सुरक्षाकर्मियों का एक प्रकार से कब्जा था। रघुवर दास के शासन के दौरान उनके मुलाकातियों पर सख्ती थी। शनिवार को सिर्फ तीन लोगों के मुलाकात की सीमा तय थी उसके अतिरिक्त विशेष परिस्थति में ही मुलाकात संभव है।
हेमंत सरकार के आने के बाद जेल मैनुअल का उल्लंघन कर लोगों के मुलाकात को लेकर भी वे लगातार विवादों में रहे। कोरोना के साथ बिहार का चुनाव करीब आया तो लालू प्रसाद को निदेशक के बंगले में शिफ्ट कर दिया गया। यह अघोषित रूप में राजद का कार्यालय जैसा बना रहा। उम्मीदवारों की भीड़ लगती रही, बायोडाटा जमा होते रहे। खबरें वायरल होने के बाद प्रशासन ने सख्ती बरती और बिना अनुमति इनसे मिलने आई बिहार के बाराचट्टी से राजद विधायक समजा देवी को प्रशासन ने 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि एक हजार करोड़ के चारा घोटाला के चार मामले में प्रसाद को जेल की सजा हुई, लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें इलाज के नाम पर पहले रिम्स में और फिर आइसोलेान के बहाने आलीशान बंगले में पहुंचा दिय।
भ्रष्टाचार का दोष सिद्ध अपराधी यदि राजनीतिक रसूख के बल पर जेल बंदी के बजाय राजकीय अतिथि जैसी पांच सितारा सुविधाएं पा रहा है तो इस पर सीबीआइ को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। लालू प्रसद से मिलने रोजाना दर्जन भर लोग उनके बंगले पर पहुंच रहे हैं। बिहार में चुनाव लड़ने के इच्छुक 200 से ज्यादा लोग रांची जाकर उन्हें बायोडाटा दे चुके हैं। यदि झारखंड सकार जेल मैन्युअल की धज्जियां उड़ाकर लालू प्रसाद को जेल से पार्टी चलाने और टिकट बांटने में राजनीतिक भूमिका निभाने का मौका दे रही है तो हम चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की अपील करेंगे।