झारखण्ड: अंधविश्वास में हो रहा रिश्तों का खून, डायन बता बेटे ने मां को पोते ने दादी को काट डाला
अंधविश्वास में हत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही। रोक-थाम के लिए कानून और जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद आये दिन डायन बिसाही, जादू-टोना के नाम पर ग्रामीण, जनजातीय इलाकों में हत्या की घटनाएं घट रही हैं। ज्यादातर शिकार महिलाएं हो रही हैं। लोग इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने के बदले झाड़-फूंक के लिए ओझा के पास पहले पहुंचते हैं। किसी के घर में कोई बीमार पड़ जाये, बीमारी से असमय मौत हो जाये, पशुधन की मौत हो जाये, खेत की फसल खराब हो जाये, कुआं सूख जाये तो सीधा लोगों को शक होता है किसी ने जादू-टोना जैसा कुछ कर दिया है। ऐसी घटनाएं भी होती हैं कि पूरी पंचायत बैठकर किसी को डायन-बिसाही के नाम पर आरोपी करार कर सामूहिक दंड, पिटाई, हत्या जैसे फरमान सुना देती है। इसी साल फरवरी में गुमला में पंचायत के फरमान के बाद पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी। जमीन पर कब्जा के लिए भी अकेली या कमजोर परिवार की महिला को डायन बताकर मार डालने की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
इसी सप्ताह गुमला के चैनपुर के कुरूमगढ़ में 23 साल के राज्यपाल मुंडा ने डायन बिसाही के शक में अपनी दादी भिनसारी मुंडाइन की टांगी से काटकर हत्या कर दी। वजह यह थी कि बीमारी से उसके छोटे भाई की मौत हो गई थी। पत्नी की हत्या से नाराज मोगदो मुंडा ने चंद घंटों के भीतर ही पोते का हाथ-पांव बांध टांगी से काटकर हत्या कर दी। अब बोकारो से खबर आई है कि जरीडीह के अनंतपुर गांव में रविवार को एक बेटे ने मां को डायन बताकर कुल्हाड़ी से काट डाला। बताते हैं कि घरेलू विवाद था और परमेश्वर इधर कुछ बीमार चल रहा था। उसे शक हुआ कि मां ने ही कुछ कर दिया है। ऐसे में उसने पत्नी के साथ मिलकर अपनी पचास साल की मां पार्वती देवी को कुल्हाड़ी से काट दिया। अस्पताल ले जाने पर उसकी मौत हो गई। इसी तरह खूंटी जिला के मुरहू में बुजुर्ग सोमवारी हेमरोम को डायन बताकर मार डाला गया। सोमवार को जंगल में उसका शव मिला।
रिपोर्ट के अनुसार परिजनों ने कहा कि कुछ लोग उसे डज्ञयन कहकर परेशान करते थे। रविवार को वह मवेशी चराने निकली थी उसके बाद वापस नहीं लौटी। एक दिन पहले की ही बात है पलामू जिला के हैदरनगर थाना के कोईरियाडीह में कुछ लोगों ने डायन बता हेमवंती देवी की जमकर पिटाई की उसका सिर फोड़ दिया।
हेमवंती के अनुसार लोग उसे डायन कहकर परेशान करते थे। बहरहाल इन मामलों में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर अपना काम कर रही है। प्रदेश में 2001 में ही डायन प्रथा निषेध कानून लागू कर इसके खिलाफ विभिन्न माध्यमों से लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है मगर घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो 2015 से 2020 के बीच प्रदेश में डायन बिसाही के 4,556 मामले दर्ज किये गये। इसमें 272 हत्या का मामला है। ग्रामीण इलाकों के अनेक मामले तो पुलिस तक आते भी नहीं।
बता दें कि इसी साल फरवरी में गुमला के कामडारा ब्लॉक के बुरूहातू आमटोली में पांच दर्जन से अधिक लोगों ने पंचायत लगाकर निकोदीन टोपनो के पूरे परिवार की हत्या का फरमान सुनाया था। कोई आधा दर्जन लोगों ने मिलकर निकोदीन, उसकी पत्नी, बहू-बेटा और पोते को मार डाला था। इस तरह की घटनाओं की पृष्ठभूमि पहले से तैयार होती है। डायन के नाम पर पहले से लोग प्रताड़ित करते रहते हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में पुलिस चौकसी, खुफिया तंत्र रहे तो निर्दोष अंधविश्वास की भेंट चढ़ने से बच सकते हैं।