झारखंडः राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाया वित्त विधेयक, यह है वजह
रांची। 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति विधेयक की वापसी पर राजनीति ठंडी भी नहीं हुई थी कि राज्यपाल रमेश बैस ने वित्त विधेयक को भी आपत्तियों के साथ झारखंड सरकार को वापस कर दिया है। गौर करने की बात यह है कि इस विधेयक को तीसरी वार वापस किया गया है। पहली बार हिंदी और अंग्रेजी प्रति में अंतर था तो दूसरी बार बिना सदन से पास कराये इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया था। राज्यपाल रमेश बैस अब तक विधानसभा से पास करीब आठ विधेयकों को आपत्ति के साथ वापस कर चुके हैं जिनमें कुछ को पुन: विधानसभा से पास कराकर राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया और स्वीकृति मिली। राजभवन द्वारा विधेयकों की वापसी से सरकार और राजभवन के बीच खटास बढ़ती जा रही है।
यह है आपत्ति
राजभवन के अनुसार माननीय राज्यपाल रमेश बैस ने झारखण्ड विधान सभा से पारित ‘झारखण्ड वित्त विधेयक, 2022’ को राज्य सरकार को यह निदेशित करते हुए प्रेषित किया है कि इस विधेयक में उल्लेखित बिंदुओं व विवरणों की गंभीरतापूर्वक समीक्षा की जाय कि यह भारत के संविधान की अनुसूची VII के अंतर्गत राज्य सूची में समाहित है अथवा नहीं। विधेयक में बीमा अथवा अन्य प्रावधानों से संबंधित कोई विवरण संघ सूची अथवा समवर्ती सूची में तो सम्मिलित नहीं है? ज्ञात हो कि भारत के संविधान के अनुसूची VII के अंतर्गत संघ सूची-I के क्रम संख्या 47 में बीमा से संबंधित विषय का वर्णन किया गया है। राज्यपाल महोदय ने उपरोक्त बिन्दुओं पर राज्य सरकार को विधि विभाग से मंतव्य प्राप्त कर इस विधेयक को अनुमोदन हेतु भेजने का निदेश दिया।
विदित हो कि यह विधेयक पूर्व में भी दो बार माननीय राज्यपाल महोदय के अनुमोदन हेतु आया था। प्रथम बार हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में रूपान्तरण संबंधी विभिन्न विसंगतियों के कारण इस विधेयक को वापस कर दिया गया। तत्पश्चात यह विधेयक राज्य सरकार द्वारा संशोधित विधेयक को बिना झारखण्ड विधान सभा से पारित किए ही माननीय राज्यपाल महोदय की सहमति हेतु प्रेषित कर दिया गया। माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा राज्य सरकार को यह कहते हुए इस विधेयक को फिर वापस किया कि संशोधित विधेयक को झारखण्ड विधान सभा से पारित करा कर अनुमोदन प्राप्त करने हेतु प्रेषित करें।