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28 December 2021

झारखंड: चुनौतियों का मुकाबला करते गुजरा दो साल, हेमन्‍त ने आदिवासी मुद्दे पर रखा अपर हैंड

झारखंड में झामुमो नेतृत्‍व वाली हेमन्‍त सोरेन की सरकार 29 दिसंबर को दो साल पूरे करने जा रही है। दो साल पूरे होने के मौके पर होने वाले समारोह में हेमन्‍त 12558 करोड़ की योजनाओं का शिलान्‍यास करेंगे तो 3195 करोड़ की विभिन्‍न योजनाओं का उद्घाटन करेंगे, कुछ नई घोषणां करेंगे। दो साल का समय इस सरकार के लिए आसान नहीं रहा। खाली खजाना और वैश्विक महामारी कोरोना के कारण सरकार को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस बीच दो-तीन बार उनकी सरकार गिराने की साजिश को लेकर खबरें मीडिया की सुर्खियों में रहीं। सीमित संसाधन के बावजूद काम काज के मोर्चे पर अपने खाते में कुछ बेहतर हासिल किया तो राजनीतिक चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला किया। केंद्र के साथ टकराव की स्थिति बनी रही तो अपने वोट आदिवासी वोट बैंक के मामले में मजबूत रहे। हेमन्‍त सरकार के दो साल होने पर विपक्षी भाजपा ने विफलताओं को लेकर रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। मगर अभी भी कुछ फ्रंट जिन पर पीछे रह गये हैं काम करने की दरकार है।

केंद्र से दो-दो हाथ

केंद्र की सत्‍ता पर नरेंद्र मोदी और प्रदेश में डबल इंजन वाली भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्‍व वाली डबल इंजन की सरकार थी। रघुवर दास को पराजित कर सत्‍ता तो हासिल कर लिया मगर केंद्र से लगातार चुनौतियां मिलती रहीं। कोल ब्‍लॉक की कामर्शियल माइनिंग, डीवीसी के बकाया बिजली मद की 22 करोड़ की राशि आरबीआई के माध्‍यम से सीधे राज्‍य के खजाने से काट लिये जाने, जीएसटी कंपनसेशन के भुगतान से केंद्र के मुकरने, कोयला रायल्‍टी और कोयला खदानों की जमीन के एवज में अरबों रुपये के बकाया, मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक, कोरोना वैक्‍सीन की बर्बादी जैसे मोर्चे पर केंद्र से लगातार 36 का रिश्‍ता कायम रहा। हेमन्‍त सोरेन और उनकी सरकार लगातार केंद्र से पत्राचार कर केंद्र को कठघरे में खड़ा करते रहे। तो जनगणना में आदिवासी सरना धर्म कोड और जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर केंद्र पर दबाव बनाये रखा।

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आदिवासी एजेंडे पर भाजपा को घेरा

झारखंड मुक्ति मोर्चा की पहचान ही आदिवासियों जमात में पैठ को लेकर रही है। हेमन्‍त सोरेन के पिता दिशोम गुरू शिबू सोरेन की आदिवासी हित, जल, जंगल, जमीन और महाजनी प्रथा के खिलाफ जंग लड़कर झारखंड और आदिवासियों के बीच अपरिहार्य बने रहे। 26 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले इस प्रदेश में सत्‍ता की सीढ़ी आदिवासी वोटरों से होकर ही गुजरती है। अपने परंपरागत जनाधार को देखते हुए हेमन्‍त सोरेन ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर जनगणना में अलग आदिवासी धर्म कोड को शामिल करने का सर्वसम्‍मत प्रस्‍ताव पारित करा गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया। वोट का सवाल था भाजपा को भी सदन में समर्थन करना पड़ा। यह हेमन्‍त सोरेन की बड़ी राजनीतिक जीत साबित हुई। भाजपा ने भले ही अलग धर्म कोड पर समर्थन कर दिया मगर आरएसएस की विचारधारा इससे अलग है। संघ आदिवासियों को हिंदू मानती है। संघ के केंद्रीय प्रमुख बीते दो दशक में दो मौकों पर रांची में इसे लेकर प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं। आदिवासी सरना कोड का मुद्दा जनांदोलन का रूप लेता रहा है। झामुमो भी इसे अपने एजेंडे में शामिल किये हुए है। नीति आयोग की बैठक से लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के फोरम पर भी हेमन्‍त सोरेन इसे उठा चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री से भी सर्वदलीय शिष्‍टमंडल के साथ मिल चुके हैं। ट्राइवल एडवाइजरी कमेटी से प्रस्‍ताव राज्‍यपाल को भी भिजवा चुके हैं। 81 सदस्‍यीय विधानसभा में 28 सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा के पिछले चुनाव में इनमें सिर्फ दो सीटों पर ही भाजपा को सफलता हासिल हुई और रघुवर सरकार को जाना पड़ा। आदिवासियों की अनिवार्यता को देखते हुए भाजपा मोह भी नहीं छोड़ सकती और सरना कोड पर उसे रास्‍ता भी नहीं दिख रहा। इसी सप्‍ताह झामुमो आदिवासी सरना धर्म कोड के मुद्दे पर सर्वदलीय शिष्‍टमंडल के साथ राज्‍यपाल से मिला तो भाजपा ने राजनीति बताकर इससे किनारा कर लिया। आदिवासी वोटों का महत्‍व इस मायने में समझा जा सकता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्‍व ने ब्रह्मास्‍त्र चलाते हुए बिरसा मुंडा की जयंती को राष्‍ट्रीय एजेंडा बना लिया। पूरे देश में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्‍ट्रीय कार्य समिति की रांची में हुई बैठक में इससे संबंधित प्रस्‍ताव पारित किया गया तो केंद्रीय कैबिनेट ने भी इसे हामी दे दी। यहां हर पंचायत से लेकर स्‍कूल तक में बिरसा जयंती मनाई गई। यह एक प्रकार से जनगणना में आदिवासी सरना धर्म कोड के काट के रूप में देखा गया मगर भाजपा का कांटा वहीं फंसकर रह गया। देश में अनेक राज्‍यों में बड़ी संख्‍या में आदिवासी हैं, उनका अलग-अलग जमात है, ऐसे में आदिवासी सरना धर्म कोड को मंजूरी टेढ़ी खीर है। इसको लेकर झामुमो और समर्थित आंदोलन झामुमो के लिए खाद है तो भाजपा के लिए कील।

बढ़ाई राजनीति स्‍वीकार्यता

आम राजनेताओं से इतर बोल-चाल में संयमित भाषा का इस्‍तेमाल और कठिन समय में भी संयमित तरीके से प्रतिक्रिया देने वाले हेमन्‍त सोरेन राजनीतिक रिश्‍तों को लेकर संजीदा रहे हैं। राजद से सिर्फ एक विधायक जीतने के बावजूद सत्‍यानंद भोक्‍ता को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर रखा है। यहां कांग्रेस के सहयोग से सरकार है, इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बिना शर्त ममता बनर्जी को सहयोग किया। सरकार गिराने की साजिश की खबरों के बीच सहयोगी कांग्रेस के साथ बेहतर तालमेल से संतुलन बनाये रखा है। बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो को स्‍पेस नहीं मिलने के बावजूद संयत रहे। अपने ही सोरेन घराने से खुदे और दबे रूप से उठने वाली आवाजों पर भी संयमित रहे। खामोश रहे। जनगणना में आदिवासी सरना धर्म कोड की आवाज बनकर दूसरे प्रदेशों के आदिवासियों में भी अपनी स्‍वीकार्यता बढ़ाई। विरोधियों के खिलाफ केंद्र सरकार के टूल के रूप में सीबीआई के इस्‍तेमाल की बात आई तो भाजपा के विरोधी पार्टियों की सरकार की तरह झारखंड में भी सीबीआई की डायरेक्‍ट इंट्री पर रोक लगाई, जातीय आधार पर जनगणना की आवाज उठाई। अहितकर फैसलों को लेकर केंद्र के खिलाफ आवाज उठा भाजपा विरोधी दलों में अपनी स्‍वीकार्यता बढ़ाई।

काम के सहारे

सरकार सत्‍ता में आई तो खजाना खाली था। कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर चुनौती। मगर इसे भी अवसर के रूप में बदला। बाहर फंसे कामगारों को देश में पहलीबार विमान से वापस लाया गया। दीदी किचन शुरू कर उनके खाने का इंतजाम किया तो आने वाले कामगारों-श्रमिकों को एक हद तक काम के अवसर उपलब्‍ध कराये। स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में इजाफा किया। बाहर काम करने वाले कामगारों की सुरक्षा के लिए इसी सप्‍ताह एसआरएमआइ कार्यक्रम की शुरुआत की है। अभी बिरसा जयंती को केंद्र की भाजपा सरकार ने हाईजैक करने की योजना बनाई तो उसी दिन 15 नवंबर से ''आपके अधिकार आपकी सरकार, आपके द्वार'' योजना की शुरुआत कर दी। पंचायत-पंचायत में अधिकारियों की टीम जाकर पेंशन, विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति, अनाज, राशन कार्ड, शौचालय, आवास आदि जनता से जुड़ी योजनाओं के लिए आवेदन ले रहे हैं, तत्काल उसका निबटारा कर रहे हैं। अभी तक करीब 33 लाख से अधिक लोगों के शिकायत पत्र लिये गये जिनमें 24 लाख लोगों के आवेदनों का निबटारा किया जा चुका है। सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बीच जनता के बीच पैठ का यह सरकार के लिए बड़ा हथियार साबित हो रहा है।

अल्‍पसंख्‍यक भी झामुमो के करीबी माने जाते हैं। इनकी भावना को ध्‍यान में रखते हुए विधानसभा के बीते सत्र में भाजपा के कड़े विरोध के बावजूद मॉबलिंचिंग के खिलाफ बिल पास किया। सोमवार को भाजपा के शिष्‍टमंडल ने राज्‍यपाल से मुलाकात कर इस बिल के विरोध में ज्ञापन भी सौंपा है। दरअसल रघुवर शासन के दौरान झारखंड लिंचिंग पैड के रूप में देश में ख्‍यात हो गया था। ज्‍यादातर अल्‍पसंख्‍यक इसके शिकार हो रहे थे। हेमन्‍त सरकार ने मानदेय और सुविधाओं को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे पारा शिक्षकों के लिए मान्‍य रास्‍ता निकाला तो अल्‍पसंख्‍यक शिक्षकों के पक्ष में भी निर्णय किये। 60 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए यूनिवर्सल पेंशन योजना शुरू की। तो 15 लाख नये परिवारों को राशन कार्ड से जोड़ा, गरीबों के लिए सोना सोबरन धोती, साड़ी योजना शुरू की जनजातीय भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए देश के दूसरे और झारखंड के पहले जनजातीय विवि को मंजूरी दी, मरांग गोमके योजना के तहत देश में पहली बार जनजातीय समाज के मेधावी छात्रों को सरकार के खर्च पर उच्‍च तकनीकी शिक्षा के लिए विदेश भेजा, आदिवासियों और पिछड़ों को टेंडर में 10 प्रतिशत आरक्षण का इंतजाम किया, झारखंड लोग सेवा आयोग में नियुक्ति के फंसे अड़चन को दूर करने के लिए नियमावली बनवाई तो विभिन्‍न नियुक्ति नियमावलियों में संशोधन कराया, स्‍थानीय को नौकरियों में प्राथमिकता का प्रावधान किया, निवेश का माहौल बनाने के लिए नई औद्योगिक नीति को मंजूरी दी, तकनीकी विवि खोलने का रास्‍ता साफ किया। सीमित संसाधनों के बीच इस तरह के और भी काम किये।
यह अपने आप में खुश होने की वजह हो सकती है मगर विपक्ष उनकी कमियों को लेकर लगातार हमलावर है। युवाओं को रोजगार, नौकरी और बेरोजगारी भत्‍ता का चुनावी वादा था। हेमन्‍त सरकार ने इस साल को चुनवी वर्ष घोषित किया था मगर नियमावलियों में संशोधन से बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई है। भाजपा ने अपने काउंटर रिपोर्ट कार्ड में कहा है कि हेमन्‍त सरकार ने हर साल पांच लाख लोगों को नौकरी का वादा किया था मगर रोजगार वर्ष में ही लोगों की नौकरियां छीनी जा रही हैं। पंचायत चुनाव टालने, ट्राइवल एडवाइजरी कमेटी में संशोधन कर राज्‍यपाल को किनारे करने, जेपीएससी की परीक्षा में गडबड़ी, कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर लगातार आक्रामक है। युवाओं को रोजगार और बेरोजगारी भत्‍ता, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण जैसे चुनावी घोषणा पत्र के वादों के प्रति सरकार को संजीदा होना होगा।सिर्फ नीति काफी नहीं है, निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना होगा, नक्‍सली हिंसा और डायन-बिसाही जैसी घटनाएं, बदनामी दे रही हैं, अवैध खनन, कोयला और बालू और अफसरशाही को लेकर बदनामी हो रही है, इस पर लगाम लगाना होगा। विस्‍थापन की समस्‍या, आदिवासियों को जमीन पर कब्‍जा दिलाने, स्‍थानीय नीति जैसे जटिल मुद्दों का रास्‍ता ढूंढना होगा। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम ने अचानक नया मुकाम दिया है, 23-24 लाख लोगों की छोटी-छोटी समस्‍याएं झटके में दूर हुई हैं। सरकार के प्रति लोगों के संतोष के स्‍तर को एक हद तक बढ़ाया है। डेढ़ माह के अभियान में सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत ढाई लाख लोगों को पेंशन के लिए आदेश जारी हो गया। यह नमूना है। जाहिर है इस अभियान को 29 दिसंबर को समाप्‍त करने के बदले आगे ले जाना होगा।

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TAGS: Jharkhand, Two years passed, facing challenges, CM Hemant Soren, upper hand, tribal issue
OUTLOOK 28 December, 2021
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