कालीचरण खजुराहो से गिरफ्तार, महात्मा गांधी पर की थी अपमानजनक टिप्पणी
छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने 'धर्म संसद' में महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानित करने वाले कथित भड़काऊ भाषण के लिए मध्य प्रदेश के खजुराहो से कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ रायपुर के टिकरापारा थाने में मामला दर्ज है।
एसपी रायपुर प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि कालीचरण महाराज मध्य प्रदेश के खजुराहो से 25 किमी दूर बागेश्वर धाम के पास किराए के मकान में रह रहे थे। रायपुर पुलिस ने आज सुबह 4 बजे उसे गिरफ्तार कर लिया। देर शाम तक आरोपी को लेकर पुलिस टीम रायपुर पहुंचेगी।
इस गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के तरीके पर आपत्ति है। छत्तीसगढ़ सरकार चाहती तो उन्हें (कालीचरण महाराज) नोटिस देकर भी बुला सकती थी। मध्य प्रदेश डीजीपी से कहा गया है कि मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के डीजीपी से बात करें। गिरफ़्तारी के इस तरीके पर आपत्ति व्यक्त कराएं।
वहीं इसपर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि ऐसे महापुरुष (महात्मा गांधी) के बारे में कोई अभद्र टिप्पणी करें तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने यह कार्रवाई की है। उनके (कालीचरण महाराज) परिवारजनों और वकील को सूचित कर दिया है। 24 घंटे के अंदर उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।
बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने के बाद वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
रायपुर के रावण भाटा मैदान में रविवार शाम को दो दिवसीय धर्म संसद के समापन के दौरान कालीचरण ने राष्ट्रपिता के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग किया था और लोगों से धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार के मुखिया के रूप में चुनने के लिए कहा था।
इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने बीते दिन कहा था कि अगर कोई इस तरह की टिप्पणी कर लोगों को भड़काने की कोशिश करेगा तो कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। बघेल ने कहा, “बापू (महात्मा गांधी) को गाली देकर और समाज में जहर फैलाकर, अगर कोई पाखंडी सोचता है कि वह अपने इरादे में सफल होगा, तो यह उसका भ्रम है। उनके आकाओं को भी सुनना चाहिए..जो कोई भी भारत और सनातन संस्कृति दोनों की आत्मा को ठेस पहुंचाने की कोशिश करता है... न तो संविधान उन्हें बख्शेगा और न ही जनता उन्हें स्वीकार करेगी।'