नोटबंदी : चमड़ा कारोबार के 50000 मजदूरों को नहीं मिल रहा वेतन
यहीं नही टेनरी मजदूरों को समय पर वेतन देने में भी परेशानी आ रही है। जिससे मजदूर काम छोड़ने पर मजबूर हैं। टेनरी मालिक अपनी जरूरत का सामान बूचड़खाने के अलावा गांवो के किसानों एवं अन्य लोगों से भी खरीदते है। यह काम नकद भुगतान करके ही किया जाता है। कानपुर की करीब 400 टेनरियों को सप्लाई होने वाली जानवरों की खाल इन्हीं असंगठित क्षेत्रों, छोटे किसानों और व्यापारियों से नकद खरीदी जाती है।
सुपर टेनरी के डायरेक्टर इमरान सिददीकी के अनुसार नोटबंदी से चमड़ा निर्यातक दोहरी मार झेल रहे हैं। इस क्षेत्र में पहले ही वैश्विक मांग में कमी बनी हुई है। नकदी की कमी के कारण कच्चे चमड़़े और तैयार चमड़े की आपूर्ति में भी कमी हो रही है। इसलिये टेनरियो में उत्पादन ठप्प सा है। इस समय विदेशों को जाने वाले क्रिसमस और नये साल के आर्डर भी पूरे नहीं हो पाये हैं। समय पर आर्डर न भेजने से निर्यातकों को आर्थिक नुकसान के साथ अपनी साख खोने का भी डर सता रहा है।
वह कहते है कि विदेशी और देशी कंपनियां चमड़ा निर्यातको को पेमेंट चेक या बैंक के माध्यम से करती है लेकिन हम किसानोें से चमड़ा नकद भुगतान कर खरीदते हैं। शहर के जाजमउ इलाके में करीब चार सौ टेनरियां है जहां करीब 50 हजार मजदूर काम करते है। अचानक आठ नवंबर को पांच सौ हजार के नोट बंद हो जाने से टेनरी मालिकों के सामने भुगतान का संकट खड़ा हो गया।
तलत लेदर इंडस्टीज के मालिक आसिफ खान ने कहा, आज हमारी टेनरी के सामने सैकड़ों मजदूर वेतन लेने के लिये खड़े है लेकिन हम उन्हें वेतन नही दे पा रहे है क्योंकि हमारे पास नये नोट ही नही है। बैंक से भी ज्यादा रूपये नही निकल पा रहे हैं। सिददीकी ने बताया कि मजदूर वेतन की मांग कर रहे हैं, बैंक से अधिक नकदी नहीं मिल पा रही है। कर्मचारियों मजदूरों को किसी तरह दिलासा देकर समझा रहे हैं।
कमोबेश एेसा ही आलम पूरे जाजमउ इलाके में है जहां टेनरी कर्मचारी, मजदूर अपनी अपनी टेनरी के सामने वेतन मिलने की आस में खड़े है। भाषा एजेंंसी