केरल के चर्च की राय, योग से नहीं मिलता दिव्य अनुभव
सायरो-मालाबार चर्च के पादरियों की समिति की राय है कि किसी विशेष आसन के जरिए दिव्य अनुभव प्राप्त नहीं किया जा सकता। समिति ने अपनी आस्था में योग की भूमिका पर इस साल की शुरूआत में चर्चा की थी।
सायरो-मालाबार चर्च के प्रधान पादरी कार्डिनल जॉर्ज एलेनचेरी के दस्तखत वाले सर्कुलर में कहा गया, हम जिस ईश्वर में यकीन रखते हैं वह एक वैयक्तिक ईश्वर :पर्सनल गॉड: हैं। ईश्वर कोई ऐसा शख्स नहीं है, जिसके पास किसी विशेष आसन से पहुंचा जा सके।
इस साल जनवरी में अपने पादरियों और अपनी आस्था से जुड़े लोगों के लिए जारी सर्कुलर में चर्च ने कहा कि भारतीय संस्कृति में योग को मिले महत्वपूर्ण स्थान को मान्यता देते हुए इसे ध्यान केंद्रित करने वाला एक शारीरिक अभ्यास या आसन माना जाना चाहिए।
सर्कुलर में कहा गया, यह मानना सही नहीं है कि ईश्वर का अनुभव और ईश्वर के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार योग से संभव है।
इसमें कहा गया कि इस बाबत चर्च से इतर राय रखने वालों को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। भाषा