अब मध्य प्रदेश कैबिनेट ने पारित किया सीएए विरोधी प्रस्ताव, ऐसा करने वाला छठा राज्य
अब मध्य प्रदेश सरकार ने भी केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव बुधवार को पारित कर दिया। इसमें केंद्र से इस कानून को वापस लेने की मांग की गई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में भी संशोधन की बात कही गई है। वहीं, विपक्ष ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सीएए के खिलाफ और एनपीआर में संशोधन करने का प्रस्ताव पेश किया गया। इसके साथ ही मध्य प्रदेश अब छठा राज्य बन गया है, जहां सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुका है।
इन राज्यों में हो चुका है प्रस्ताव पारित
मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल में लाए गए इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सीएए कहीं न कहीं संविधान के अनुच्छेद 14 को प्रभावित कर रहा है जो लोगों को समानता की गारंटी देता है। सीएए को संविधान की भावनाओं के विपरीत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की गई है। इससे पहले केरल, छत्तीसगढ़, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान विधानसभा में सीएए विरोधी प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
थमी नहीं है चर्चा
संसद से पारित होने के बाद भी सीएए को लेकर जारी चर्चा थमी नहीं है। इस कानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ। इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर भारत से हुई। ख़ास तौर से असम में इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए।
बता दें कि सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़ित भारत में आने वाले हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करता है।