मध्यप्रदेश में कर्ज माफी योजना के दायरे में नहीं आने की वजह से किसान ने की आत्महत्या
कर्जमाफी को लेकर सरकारें भले ही तारीफ बटोर रही है लेकिन कर्जमाफी पूरी तरह किसानों के घाव को भरने में असफल साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश के खंडवा में कर्जमाफी से परेशान किसान ने मौत को गले लगा लिया। किसान की मौत के बाद भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग छिड़ गई है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मध्यप्रदेश की नवगठित कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी की योजना के दायरे में कथित रूप से नहीं आने के कारण खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा क्षेत्र के अस्तरिया गांव के 45 वर्षीय एक आदिवासी किसान ने कथित तौर पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसका शव शनिवार सुबह करीब 7 बजे उसी के खेत के एक पेड़ से रस्सी से लटकता मिला।
किसान के परिजनों का आरोप है कि सरकार की हाल ही में जारी कर्ज माफी के आदेश के बाद भी वह उस दायरे में नहीं आ सका क्योंकि राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 तक का कर्जा माफ करने की घोषणा की है। मृत किसान पर इस तिथि के बाद का राष्ट्रीयकृत तथा सहकारी बैंकों का करीब तीन लाख रुपये का कर्ज था। मृतक के भाई काशीराम ने कहा, “मेरा भाई उम्मीद कर रहा था कि उसका ऋण माफ हो जाएगा लेकिन जब से उसे पता चला कि वह हकदार नहीं हैं वह काफी परेशान हो गया।
पंधाना पुलिस थाना प्रभारी शिवेंद्र जोशी ने बताया, ‘‘अस्तरिया गांव के किसान जुवान सिंह (45) का शव खेत के पेड़ पर शनिवार सुबह लटका हुआ मिला।'' उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी लगते ही पंधाना पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंच कर शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
राजनीति भी शुरू
किसान की मौत के बाद अब इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। पंधाना से भाजपा विधायक राम डांगोरे का कहना है कि कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी की बात तो कही है लेकिन उसमें कौन- कौन से किसानों का कर्ज माफ होगा यह स्थिति साफ नहीं है। लिहाजा विधानसभा में वे इस मुद्दे को उठाएंगे। वहीं राज्य कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने भाजपा पर किसान परिवार को गुमराह करने का आरोप लगाया है।