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15 January 2019

फिर हुआ जल्लीकुट्टू, क्या है यह क्यों होता है विरोध

मकर संक्राति और पोंगल के मौके पर तमिलनाडु के मदुरै जिले में यहां का पारंपरिक खेल जल्लीकुट्टू का आयोजन हुआ। पिछले कुछ सालों से इस खेल का बहुत विरोध हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध भी लगाया था लेकिन बाद में राज्य सरकार ने अध्यादेश लाकर इसे चालू रखा था।

क्या है जल्लीकुट्टू

जल्ली का अर्थ होता है सिक्का और कुट्टू का मतलब होता है बंधा हुआ। सांड या बैल के सींगों में कपड़े में इनामी राशि बंधी होती है। इन बैलों या सांडों को काबू में कर उनके सींग से यह राशि निकालनी होती है। मदुरै के अवनिपुरम में जनता के बीच बहुत उत्साह से इस खेल का आयोजन हुआ। परंपरा के अनुसार दो बैलों को प्रतिभागियों की भीड़ में छोड़ दिया जाता है। जल्लीकुट्टू का इलाका एक बाड़ से घिरा रहता है जिसमें प्रतिभागी बैलों के सींग पकड़ कर उस पर काबू पाते हैं। आयोजन में इस बार 636 बैलों और 500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।  

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घायल हुए पर फिक्र नहीं

इस खेल के खतरनाक स्तर को देखते हुए ही इस पर कई मानवाधिकार और पशु प्रेमी संगठनों ने रोक लगाने की मांग की थी। इस खेल में कई लोग घायल हो जाते हैं और कुछ लोगों को जान गंवानी पड़ती है। रिपोर्ट के मुताबिक इस बार पुडुक्कोट्टी जिले में पहले दिन 13 लोगों के घायल होने की खबर है। जल्लीकुट्टू अमूमन जनवरी के मध्य में फसल कटाई के उत्सव पोंगल पर आयोजित किया जाता है।    

पेटा ने की थी रोक की मांग   

पेटा के साथ-साथ एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने जल्लीकुट्टू का विरोध किया था। संगठनों का कहना था कि यह पशुओं के प्रति क्रूरता है और इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। बैलों या सांडों को भड़काने के लिए कई बार क्रूर तरीके अपनाए जाते हैं जिससे वे बेकाबू हो कर तेज दौड़ सकें। सुप्रीम कोर्ट ने क्रूरता की कई शिकायतें मिलने के बाद 2014 में इस आयोजन पर रोक लगा दी थी। लेकिन तमिलनाडु ने 2017 में कोर्ट के आदेश को बायपास करते हुए इस खेल को बरकरार रखा था क्योंकि राज्य में लोगों का इसे चालू रखने के लिए प्रदर्शन उग्र हो गया था। हालांकि तमिलनाडु सरकार ने इस साल इस खेल के लिए नए नियम बनाए हैं और खेल में हिस्सा ले रहे सभी बैलों के नाम पर टोकन जारी किए गए हैं।  

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TAGS: Madurai, Jallikattu, tamilnadu
OUTLOOK 15 January, 2019
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