महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्यपाल के पास दूसरी बार भेजा उद्धव ठाकरे का नाम, मनोनीत कोटे से एमएलसी बनाने की सिफारिश
महाराष्ट्र में सोमवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में राज्य के एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) के लिए राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मनोनीत कोटे से नियुक्त करने का करने का फैसला किया गया। कैबिनेट ने दूसरी बार यह सिफारिश की है। हालांकि उस पर औपचारिक फैसला अभी तक नहीं हुआ है। बैठक की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने की। उद्धव के सामने कुर्सी बचाने का संकट है क्योंकि मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए हुए उन्हें 28 मई को छह माह हो जाएंगे। लेकिन अभी तक वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।
इससे पहले 9 अप्रैल को ऐसा ही प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को भेजा गया था। भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि मौजूदा परिस्थिति में विधान परिषद के चुनाव नहीं हो सकते हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, जो इस समय ना तो विधानसभा के और ना ही विधान परिषद के सदस्य हैं, उन्हें राज्यपाल की ओर से नामित किए जाने वाली विधानपरिषद की सीट के लिए मनोनीत किया जाए। अब गेंद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है।
भाजपा उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने के खिलाफ रही है। भाजपा का कहना है कि उद्धव को एमएलसी बनाने के पीछे कई कानूनी अड़चनें हैं। इस पर शिवसेना ने कहा था कि यह सिफारिश संविधान सम्मत है, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में ऐसा हुआ है।
नहीं है किसी सदन के सदस्य
28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री को छह महीने के अंदर विधानसभा या अथवा विधान परिषद का सदस्य बनना आवश्यक है। आगामी 27 मई को उद्धव को मुख्यमंत्री बने छह महीने पूरे हो जाएंगे, लेकिन वे अभी तक किसी सदन के सदस्य नहीं बन पाए हैं। मौजूदा समय में कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग ने अनिश्चितकाल के लिए सभी तरह के चुनाव रद्द कर दिए हैं। ऐसी परिस्थिति में महाराष्ट्र में राजनीतिक असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
ये हैं विकल्प
महाराष्ट्र में विधान परिषद के नौ पद रिक्त हैं। यदि तीन मई तक कोरोना वायरस का संकट थम जाता है और लॉकडाउन खत्म हो जाता है तो संभव है कि इन सीटों के लिए चुनाव हों। यदि 15 दिन में चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर 28 मई से पहले विधानपरिषद चुनाव के नतीजे घोषित हो जाएं तो उद्धव ठाकरे चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रह सकते हैं। दूसरे राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाले 12 सदस्यों में से रिक्त दो में से एक पद पर राज्यपाल उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनीनीत कर दें। तीसरे उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर कुछ दिन बाद फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लें।