महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने की पीएम मोदी से मुलाकात, कहा- सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि पीएम के साथ महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर अच्छी चर्चा हुई। किसी को सीएए से डरने की आवश्यकता नहीं है। इस दौरान उद्धव के बेटे और राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। पीएम मोदी से मिलने के बाद सीएम उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने दस जनपथ में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर मुलाकात की।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर चर्चा की। मैं पहले ही इन मसलों पर अपना रुख साफ कर चुका हूं। किसी को भी सीएए और एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है। सीएए किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं है। हालांकि, यह कानून पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के बारे में है। एनपीआर किसी को देश से बाहर नहीं करेगा।
गठबंधन में मतभेद से किया इनकार
उन्होंने गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई मतभेद होने से इनकार करते हुए कहा कि हम महाराष्ट्र सरकार पांच साल तक चलाने वाले हैं। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने जिस सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मसले पर अपना रुख दोहराया है, राज्य की गठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस और एनसीपी उसका विरोध कर रहे हैं।
सोनिया और आडवाणी से भी कर सकते हैं मुलाकात
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकते है। इसके बाद उद्धव का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से भी मिलने का कार्यक्रम है। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद उद्धव ठाकरे की मोदी से यह दूसरी मुलाकात होगी। शिवसेना और भाजपा गठबंधन टूटने के बाद पीएम मोदी से उद्धव की पहली बार मुलाकात पुणे में पुलिस महानिदेशक परिषद को संबोधित करने पहुंचने के दौरान हुई थी।
गठबंधन सरकार के नेता चुने गए
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्हें सर्वसम्मति से तीन दलों के महा विकास अघाड़ी का नेता चुना गया था। महा विकास अघाड़ी में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गठबंधन दल हैं। उद्धव ठाकरे के अगुवाई वाले दल शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से नाता तोड़कर वैचारिक रूप से अपने धुर विरोधी दल एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था। महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हुए थे लेकिन काफी उठा-पटक के बाद नवंबर में सरकार का गठन हुआ था।