मणिपुर सीएम का बड़ा बयान; कहा- 'चिन कुकी' को एसटी में कैसे शामिल किया गया, इसकी जांच होगी
बीता साल मणिपुर के लिए दर्द भरा साल रहा। कई महीनों तक राज्य आपसी लड़ाई के बीच जलता रहा। नए साल में अब मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि चिन कुकी समुदाय राज्य की अनुसूचित जनजाति सूची में रहेगा या नहीं, यह तय करने के लिए एक सर्व-जनजाति समिति का गठन किया जाएगा।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के एक पत्र, जिसमें मणिपुर की एसटी सूची से "खानाबदोश चिन कुकी" समुदाय को हटाने की मांग पर राज्य सरकार के विचार मांगे गए हैं, के मद्देनजर ये बयान सामने आया है। दरअसल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के राष्ट्रीय सचिव महेश्वर थौनाओजम ने दावा किया था कि उस समुदाय के सदस्य भारत के मूल निवासी नहीं बल्कि अप्रवासी हैं।
बहरहाल, सीएम सिंह ने इंफाल में संवाददाताओं से कहा, "उन्हें (चिन कुकी) मणिपुर की (एसटी) सूची में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें कैसे शामिल किया गया, इसकी दोबारा जांच की जानी चाहिए। कोई टिप्पणी करने से पहले, हमें (राज्य की) सभी जनजातियों को मिलाकर एक समिति बनानी होगी।"
उन्होंने कहा कि पैनल की सिफारिशें मिलने के बाद राज्य सरकार इस मामले पर अपना विचार भेज सकेगी। बता दें कि, कुकी मणिपुर की विभिन्न जनजातियों का सामूहिक नाम है और चिन उनमें से एक है। चिन समुदाय के लोग मिजोरम के मिज़ोस और पड़ोसी म्यांमार के निवासियों के एक वर्ग के साथ जातीयता भी साझा करते हैं।
मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा से दहल रहा है और 180 से अधिक लोग मारे गए हैं। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।