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09 May 2020

मुरादाबाद में एक ही परिवार के 16 सदस्य हुए थे कोरोना पॉजिटिव, अब स्वस्थ, जाने कहानी

Outlook

देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में जरूर लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन ऐसे भी कई मामले सामने आ रहे हैं जो इस वायरस की चपेट में आने के बाद जल्द ही रिकवर हो रहे हैं। देशभर में बढ़ते संक्रमण के बीच पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक ही परिवार के 16 सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जो आज कोरोना से जंग में जीत गए हैं यानी पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें से किसी में भी कोरोना का लक्षण नहीं पाया गया था। इस परिवार के संक्रमित पाए गए 16 सदस्यों में 2 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र के लोग शामिल थे। इस परिवार के वामीक खान बातचीत में बताते हैं कि उनका परिवार एक के बाद एक कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था, लेकिन सावधानी बरतने के कारण आज उनका परिवार स्वस्थ हो चुका है। इसलिए कोरोना संक्रमितों को डरने की नहीं, सावधानी बरतने की जरूरत है। 

पिछले महीने 10 अप्रैल को मुरादाबाद प्रशासन ने खान के भाई का, एक व्यक्ति के साथ संपर्क पाए जाने के आधार पर कोविड-19 के लिए परीक्षण किया था, जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए थे।

'घर पुलिस स्टेशन जैसा लगने लगा'

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वो पिछले महीने की बात को याद करते हुए बताते हैं, "तीन एम्बुलेंस, दो दर्जन से अधिक पुलिस कांस्टेबल और कुछ वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उनके यहां 14 अप्रैल को आए थे और सभी को क्वारेंटाइन सेंटर ले गए। ऐसा लग रहा था जैसे घर पुलिस स्टेशन बन गया हो। पूरी गली घबराई हुई थी लेकिन सभी ने हमारा साथ दिया।" परिवार के अन्य सदस्य बताते हैं कि उन्हें शहर के आईएफटीएम यूनिवर्सिटी में दो-तीन दिनों तक रखा गया जब तक कि सभी की रिपोर्ट नहीं आ गई। उसके बाद जिनका रिजल्ट पॉजिटिव आया उन्हें एक-एक कर तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

'एक कमरे में दस लोगों को रहना पड़ता था'

वामीक खान व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, "स्थिति बहुत खराब थी। एक कमरे में दस मरीज रखे गए थे जो अलग-अलग परिवार से आते हैं।" आगे वो बताते हैं कि दूसरी बार में जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आती थी उन्हें भी पॉजिटिव मरीजों के साथ ही रहना पड़ता था, जब तक कि तीसरी रिपोर्ट निगेटिव न आ जाए। बता दें,  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के तत्कालीन परीक्षण प्रोटोकॉल में कहा गया है कि यदि कोई मरीज पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके ठीक होने की पुष्टि के लिए अगले दो टेस्ट निगेटिव होने चाहिए। अब यह नियम बदल दिया गया है।

'लक्षण न होने की वजह से डॉ. बेफिक्र थे'

आगे खान बताते हैं, हमलोगों को बुखार या किसी भी अन्य जांच के लिए एक भी डॉक्टर नहीं आया। वो भी बेफिक्र थे कि हममें से किसी में कोई लक्षण नहीं है। यह केवल रिपोर्ट से पता चला है कि सभी कोरोना संक्रमित हैं। आइसोलेशन वार्ड में सभी 16 सदस्यों का तीन से चार दिनों के अंतराल के बाद लगातार किए गए दो टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद सभी को एक मई को डिस्चार्ज कर दिया गया।

'यह अध्ययन का विषय'

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के लैब मेडिसिन विभाग के डॉक्टर राजीव रंजन कहते हैं कि यह एक बिना लक्षण वाला मामला है जहाँ कोई मरीज वायरस ले जाता है लेकिन खांसी, बुखार आदि जैसे लक्षण नहीं दिखते हैं। रंजन ने कहते हैं, "मुझे लगता है कि संक्रामकता कम थी, लेकिन परिवार के किसी सदस्य में यह क्यों नहीं बढ़ पाया, यह अध्ययन का विषय है।" वो बताते हैं, "वे सभी अलग-अलग आयु वर्ग 2 साल से 60 साल तक के थे, इसलिए उनकी प्रतिरक्षा का स्तर भी अलग होगा। इसके बावजूद, वायरस उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सका। यह परिवार के लिए अच्छा है। हम आने वाले समय में ऐसे कई मामलों की उम्मीद करते हैं।”

 

 

 

 

 

 

 

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TAGS: Meet The 16-Member UP Family, All Asymptomatic, Tested Positive, Now Recovered
OUTLOOK 09 May, 2020
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